हैली बेल, फ़रवरी 2019 में जॉन ओ' ग्रोट्स की यात्रा पर अकेले अपनी मोटरबाइक पर निकल गई थीं. जॉन ओ' ग्रोट्स, स्कॉटलैंड के उत्तरी हिस्से में मौजूद एक छोटा सा गांव है. यहां का मौसम आम तौर पर कोहरे से भरा होता है. शुरुआत में जो यात्रा, दोपहर में खूबसूरत नज़ारों वाला एक अकेला सफ़र लग रहा था, वह उससे काफ़ी कुछ अलग था: हैली जल्द ही आधिकारिक रूप से [Women Riders World Relay] (https://womenridersworldrelay.com/) (WRWR) शुरू करने वाली थीं. इस रिले की योजना, हैली और उनकी मदद करने वाली स्वयंसेवकों की टीम ने तैयार की थी. इस रिले में 3 हज़ार से ज़्यादा राइडर (या कहें गार्डियन) ने एक महान बैटन के साथ 79 सीमाओं को पार किया. साथ ही, ये रिले एक साल में 1 लाख किलोमीटर के मुश्किल भरे रास्तों पर मोटरबाइक दौड़ाने के बाद खत्म हुआ.
कई राइडर, रिले के किसी एक हिस्से में शामिल हुईं. उन्होंने अपने देश के रास्ते पर बाइक चलाना चुना. वहीं बाकी महिलाओं ने इसे दूसरे देशों की जगहों और अनजान संस्कृति के बारे में जानने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया. (वहीं कुछ बहुत महत्वाकांक्षी लोगों ने पूरी रिले में हिस्सा लिया.) इस इवेंट के हर दिन के लिए, रिले के एडमिन ने रास्तों का ब्लूप्रिंट तैयार किया था. इसके लिए, Google Maps की मदद ली गई थी. साथ ही, हर देश और भाषा के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया गया. इस ब्लूप्रिंट में, राइडर को मंज़िल तक पहुंचने के लिए, हर संकरे और वैकल्पिक रास्तों के बारे में बताया गया था. साथ ही, सीमाओं की जानकारी दी गई थी. जब यह रिले इवेंट खत्म हुआ, तब तक अनजान राइडर का यह ग्रुप, साथ बिताए पलों की वजह से एक हो चुका था – उन्होंने साथ मिलकर अब तक की सबसे लंबी मोटरसाइकल रिले पूरी की और अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया है.
ब्रिटेन के ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली हैली को अपने परिवार से, मोटरसाइकल चलाने की इजाज़त कभी नहीं मिली. जबकि उनके पिता, भाई, और कज़न खुद राइडर थे. इस वजह से उन्होंने खुद मोटरसाइकल चलाने की उम्मीद छोड़ दी थी – हालांकि, पांच साल पहले एक मोटरसाइकल रेस देखने जाते समय, उनकी इच्छा फिर से जाग गई. वह अपने पूर्व प्रेमी की बाइक पर बैठकर इस रेस को देखने जा रही थीं. इसके बाद, उन्होंने बाइक चलाने की ट्रेनिंग ली और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हैली ने WRWR की शुरुआत, उन महिलाओं की खोज करने के लिए की थी जिनके साथ वह बाइक चला सके. हालांकि, अब यह दुनिया भर की महिला राइडर का समुदाय बन चुका है.
इस इवेंट में राइडर को सिर्फ़ एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम शामिल नहीं था, बल्कि उनकी सुरक्षा (और खाने का) का ध्यान रखना भी बेहद ज़रूरी था. योजना बनाने वाली टीम ने Google Maps का इस्तेमाल करके 300 दिन में तय किए जाने वाले रास्तों की योजना तैयार की थी. इसमें कई ऐसी जगहों की जानकारी भी शामिल थी जहां अगर राइडर रुकना चाहें, तो रुक सकते थे. जैसे कि 24-घंटे खुले रहने वाले पेट्रोल पंप या ज़रूरत के सामान की दुकान. साथ ही, यात्रा के हर पड़ाव के साथ सुरक्षा और कड़ी कर दी गई.
तीन महिला राइडर के ऐतिहासिक सफ़र के बारे में जानें. इसमें उन्होंने अमेरिका, मेक्सिको, और साउथ अफ़्रीका के वेस्टर्न केप की यात्रा की.
रिले खत्म होने की पार्टी, फ़रवरी में हुई. इसमें 40 देशों के सैकड़ों राइडर ने हिस्सा लिया. इस इवेंट के दौरान इन महिला राइडर ने एक-दूसरे को अपनी कहानियां बताईं. साथ ही, सफ़र के अपने अनुभव बाँटे. हैली का कहना है, “यकीन नहीं था कि हमें सभी देशों के लोगों से इतना प्यार मिलेगा और वे हमारा स्वागत इतने जोश के साथ करेंगे. वहीं एक-दूसरे के साथ अनुभव बाँटना भी काफ़ी शानदार रहा."
जब मैं दुनिया भर के मोटरसाइकल चलाने का इतिहास देखती हूं, तो पाती हूं उसमें महिलाएं भी शामिल रही हैं. हालांकि, इसके बावजूद यह उद्योग, पुरुषों की तरफ़ झुका हुआ है. इसलिए, दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए शुरू की गई इस मुहिम का हिस्सा बनना ज़रूरी है. ऐसा करने पर ही मोटरसाइकल उद्योग हमें गंभीरता से लेना शुरू करेगा.
मिक्की एम. एविस (अमेरिका) 724 कि.मी.
मैंने बाइक इसलिए चलाना शुरू किया, क्योंकि इससे मैं शक्तिशाली, आज़ाद, और ज़िंदा महसूस करती हूं. मैं अपनी ज़िंदगी की दौड़ का हिस्सा बनना चाहती हूं, न कि एक दर्शक की तरह बैठे रहना. मुझे ऐसी शानदार जगहें देखने का मौका मिला जिनके बारे में मैंने कभी साेचा भी नहीं था. साथ ही, मुझे ऐसे लोगों से मिलने का मौका मिला जिनसे शायद मैं कभी नहीं मिल पाती. इन दोनों चीज़ों की वजह से मैं एक बेहतर इंसान बनी हूं.
लीसा जॉर्डन स्पेलर (कनाडा) 640 कि.मी.
पैरों से दिव्यांग होने की वजह से मुझे पैदल चलने में दिक्कत होती है. मेरी मॉडिफ़ाई (बदलाव करना) की हुई बाइक, मेरे उन पैरों का काम करती है जो मेरे पास कभी नहीं थे. अब मैं उन जगहों पर भी जा सकती हूं जहां मैं हमेशा जाना चाहती थी. साथ ही, सफ़र के दौरान, ऐसे शानदार लोगों से भी मिल सकती हूँ जिनसे हमेशा मिलना चाहती थी. इस आज़ादी ने मेरी ज़िंदगी बदल दी.
शिंता उतामी (इंडोनेशिया) 13 हज़ार कि.मी.
मेरे 24 साल के बेटे की मौत श्वेतरक्तता (ल्यूकेमिया) की वजह से हो गई थी. उसे बाइक चलाना काफ़ी पसंद था. उसे पता था कि मुझे भी बाइक चलाना पसंद है, इसलिए वह मेरे लिए अपनी बाइक छोड़ कर गया. इस तरह, वह न होकर भी मेरे साथ है. यही मेरा योग है, यही मेरी पूजा है, और इसी से मुझे सुकून मिलता है. इससे मुझे अपने दुख को भुलाने में मदद मिलती है और मैं किसी और चीज़ पर ध्यान लगा पाती हूं. मैं अपने बेटे के साथ इस रेस में हिस्सा लूंगी. हालांकि, लौटते समय मेरी आंखें ज़रूर नम होंगी.
जेनी हेबरिड (न्यूज़ीलैंड) 498 कि.मी.
हम दुनिया को दिखाना चाहते थे कि अलग-अलग जगहों की ये महिलाएं, यहां एक समान लक्ष्य के लिए साथ आई हैं. यह मायने नहीं रखता कि वे किस रंग की हैं, किस धर्म की या किस राजनीतिक विचारधारा को मानती हैं. इनमें से कुछ मायने नहीं रखता. वे दादी-नानी, मां, पत्नी, बहन, बेटी या और भी कुछ हो सकती हैं. हम सब साथ आए और हम सभी ने किसी चीज़ के लिए सहमति दी. यह एक शानदार अनुभव था.
कर्टनी निक्स (अमेरिका) 19,312 कि.मी.
फ़ोटो: लानाकिला मैकनौटन