सप्लायर के लिए, Google की तय की हुई आचार संहिता

   1. शुरुआती जानकारी

Google, अपने सभी कर्मचारियों को सम्मान देने और उनकी गरिमा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखता है कि काम करने की जगह और माहौल सुरक्षित हो, कामकाज के दौरान पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे, और सभी काम नैतिकता से ही किए जाएं. Google यह उम्मीद करता है कि उसके सप्लायर, वेंडर, उसे स्टाफ़ उपलब्ध कराने वाली पार्टनर कंपनियां, कॉन्ट्रैक्टर, सबकॉन्ट्रैक्टर, और सब-टियर सप्लायर (“सप्लायर”) भी ये ज़िम्मेदारियां निभाएंगे. सप्लायर के लिए इस आचार संहिता (“आचार संहिता”) में इस बारे में दिशा-निर्देश मिलते हैं कि हमारी पार्टनर कंपनियों को किस तरह से काम करना चाहिए. इन दिशा-निर्देशों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने मानकों और फ़्रेमवर्क के आधार पर तय किया जाता है. साथ ही, इनमें बताए गए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ये दिशा-निर्देश लागू किए जाते हैं. इनमें कारोबार और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांत भी शामिल हैं. आचार संहिता के ये दिशा-निर्देश Alphabet, Google, और इसकी सहायक कंपनियों (“Google”) को प्रॉडक्ट और सेवाएं उपलब्ध कराने वाले सभी सप्लायर पर लागू होते हैं.

सप्लायर को, आचार संहिता का पालन करने में मदद करने के लिए बने प्रोग्राम लागू करने चाहिए और उन्हें मॉनिटर करना चाहिए. उन्हें ऐसा तब भी करना चाहिए, जब आचार संहिता में कोई ऐसी शर्त बताई गई हो जो लागू होने वाले कानून में शामिल न हो. यह भी ज़रूरी है कि उनके सप्लायर, वेंडर, और कॉन्ट्रैक्टर अपने ऑपरेशन और सप्लाई चेन में भी आचार संहिता के नियमों का पालन करें.

1.1 अहम ज़िम्मेदारियों का पालन करना. आचार संहिता में बताई गई ज़िम्मेदारियां निभाने के अलावा, सप्लायर को अन्य लागू कानूनों का भी पालन करना होगा. जैसे: प्रवासियों और मज़दूरी से जुड़े कानून, कानूनी प्रावधान, पर्यावरण, स्वास्थ्य, और सुरक्षा से जुड़े कानून, व्यापार और पाबंदियों से जुड़े नियम, डायरेक्टिव, और अन्य दिशा-निर्देश. इनके अलावा, कुछ और कानून भी शामिल हो सकते हैं. सप्लायर को, हमारे साथ किए गए हर कॉन्ट्रैक्ट में बताई गई ज़िम्मेदारियां भी निभानी होंगी. सप्लायर को हमारी प्रॉपर्टी या सुविधाओं के इस्तेमाल से जुड़ी सभी नीतियों और शर्तों का भी पालन करना होगा.

1.2 जानकारी के अनुरोधों पर तेज़ी से कार्रवाई करना, उसे ज़ाहिर करना, और उसके दस्तावेज़ तैयार करना. सप्लायर आचार संहिता का पालन कर रहे हैं या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए हम उनसे कुछ जानकारी मांग सकते हैं या कोई ऑडिट कर सकते हैं. ऐसे में, उन्हें हमें पूरा सहयोग करना होगा. साथ ही, मांगी गई जानकारी को समय पर उपलब्ध कराना होगा. जानकारी के अनुरोध या ऑडिट इनके आधार पर किए जा सकते हैं: आचार संहिता में बताई गई ज़िम्मेदारियां, कंपनियों में भर्ती की प्रक्रिया के वे तरीके जो Google को प्रॉडक्ट और सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रावधान से जुड़े हैं, सप्लायर की कारोबारी गतिविधियां, कंपनी की संरचना, वित्तीय स्थिति, और उसकी परफ़ॉर्मेंस. सप्लायर को, लागू होने वाले कानूनों, नियमों, और आचार संहिता का पालन करने से जुड़े रिकॉर्ड और दस्तावेज़ तैयार करने होंगे और उन्हें सेव रखना होगा. निजता बनाए रखने के लिए, सप्लायर को जानकारी की गोपनीयता का भी ध्यान रखना होगा. रिकॉर्ड में जालसाज़ी करने, जानकारी ज़ाहिर करने से मना करने या सप्लाई चेन की शर्तों/प्रक्रियाओं को गलत तरीके से पेश करने की अनुमति नहीं है. इससे Google, सप्लायर के साथ अपनी पार्टनरशिप खत्म कर सकता है.

1.3 सर्टिफ़िकेशन. जहां भी ज़रूरी हो, सामग्री, प्रोडक्शन की प्रक्रियाओं, और प्रॉडक्ट वगैरह के लिए सप्लायर को तीसरे पक्ष के भरोसेमंद सर्टिफ़िकेशन इस्तेमाल करने चाहिए. अगर Google, सप्लायर से ISO 50001, 14001 या 45001 जैसे सर्टिफ़िकेशन मांगता है, तो सप्लायर को अच्छी भावना के साथ समय पर ये सर्टिफ़िकेशन हासिल करने की पूरी कोशिश करनी होगी.

1.4 ज़िम्मेदारी. हम हालातों को बेहतर बनाने के लिए सप्लायर के साथ काम करने की कोशिश करते हैं. हालांकि, अगर कोई सप्लायर आचार संहिता में बताई गई ज़िम्मेदारियां नहीं निभाता, तो हम उसके साथ अपनी पार्टनरशिप को निलंबित या बंद कर सकते हैं.

   2. काम करने का सही माहौल उपलब्ध कराना और मानवाधिकारों का पालन करना

Google यह उम्मीद करता है कि उसके सप्लायर भी अपने कर्मचारियों के मानवाधिकारों का पालन करें, उनसे सम्मान और गरिमा के साथ पेश आएं, और उन्हें ऐसा माहौल उपलब्ध कराएं जिसमें उत्पीड़न करने, भेदभाव करने, और बदला लेने की भावना न हो. यह प्रतिबद्धता, हर कर्मचारी पर लागू होती है. जैसे, अस्थायी कर्मचारी, प्रवासी कर्मचारी, छात्र-छात्रा, कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले लोग, और सीधे तौर पर काम करने वाले लोग. इसलिए, ये नतीजे हासिल करने के लिए, सप्लायर को अपने साथ काम करने वाले लोगों को बेहतर तरीके से मैनेज करना होगा:

2.1 रोज़गार चुनने की आज़ादी देना और आधुनिक गुलामी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना. सप्लायर, जबरन किसी भी तरह की मज़दूरी, बंधुआ मज़दूरी या ठेके/पट्टे पर मज़दूरी नहीं कराएंगे और न ही इसकी अनुमति देंगे. साथ ही, वे आधुनिक गुलामी को बढ़ावा देने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. इसकी पूरी जानकारी, Google की आधुनिक गुलामी के ख़िलाफ़ बनी नीति में दी गई है. लोगों के पास स्वतंत्रता से काम करने और किसी भी वक्त नौकरी छोड़ने की आज़ादी होनी चाहिए. चाहे बात अतिरिक्त समय तक काम (ओवरटाइम) करने की हो या अन्य काम करने की, अगर उन्होंने ऐसा कोई फ़ैसला लिया है और इसके लिए कोई मान्य वजह दी है जिसका उल्लेख कॉन्ट्रैक्ट में है, तो उन पर कोई जुर्माना नहीं लगना चाहिए या उसके बदले कोई वित्तीय कटौती भी नहीं की जानी चाहिए. सप्लायर को बेवजह अपने कर्मचारियों पर अपने वर्कप्लेस या अन्य जगह आने-जाने पर रोक नहीं लगानी चाहिए.

सप्लायर, कर्मचारियों की पहचान, प्रवास या काम करने के परमिट से जुड़े दस्तावेज़ों को लंबे समय तक अपने पास नहीं रखेंगे. वे उन्हें तब तक ही अपने पास रख सकते हैं, जब तक प्रशासनिक प्रक्रिया के लिहाज़ से ऐसा करना ज़रूरी हो. सप्लायर को कर्मचारियों के ठहरने की जगह पर ही हर व्यक्ति के लिए लॉकर उपलब्ध कराने होंगे, ताकि वे इन दस्तावेज़ों और अपने निजी सामान को संभाल कर रख पाएं. अगर किसी लॉकर को कोई व्यक्ति इस्तेमाल कर रहा है, तो सप्लायर को उसे तब तक ऐक्सेस नहीं करना चाहिए, जब तक कानून ने उसे ऐसा करने की अनुमति न दी हो.

सप्लायर को सभी कर्मचारियों के रिकॉर्ड अप-टू-डेट रखने होंगे, फिर चाहे वे प्रवासी ही क्यों न हो. कर्मचारियों के रिकॉर्ड में यह जानकारी ज़रूर शामिल होनी चाहिए: कॉन्ट्रैक्ट की बुनियादी शर्तें, काम शुरू और खत्म करने की तारीख, कर्मचारी की उम्र, और किसी भी लेन-देन की जानकारी.

रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलायंस ने शुल्क की एक परिभाषा तय की है. इसके मुताबिक सप्लायर, कर्मचारियों से नौकरी के बदले कोई शुल्क या अन्य तरह के शुल्क नहीं लेंगे. भले ही, बात सीधे तौर पर शुल्क लेने की हो या फिर किसी तीसरे पक्ष के ज़रिए. अगर सप्लायर ने किसी कर्मचारी से ऐसा कोई भी शुल्क लिया है, तो उन्हें वह शुल्क वापस देना होगा. साथ ही, इस शुल्क के भुगतान का सबूत भी सेव करके रखना होगा. मान लें कि एक सप्लायर ने किसी विदेशी व्यक्ति को रोज़गार दिया और उसे ऐसे देश में काम करना है जहां की राष्ट्रीयता उसके पास नहीं है. उस व्यक्ति को काम के सिलसिले में अपने देश से किसी अन्य देश में माइग्रेट करना पड़ रहा है. ऐसे में, सप्लायर को उसका काम खत्म होने पर उसे आने-जाने का खर्चा देना होगा. यह शर्त, ऐसे कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी जो उस देश के स्थायी निवासी हैं. ऐसे पेशेवरों पर भी यह शर्त लागू नहीं होगी जिन्हें1 किसी खास काम के लिए चुना गया है.

भर्ती की प्रक्रिया के तहत यह ज़रूरी है कि सप्लायर हर कर्मचारी के साथ एक लिखित कानूनी समझौता करें. इसमें काम से जुड़ी शर्तों के बारे में जानकारी शामिल होनी चाहिए. जैसे, काम किस तरह का है, वेतन, और काम के घंटे. यह जानकारी उसी भाषा में लिखी होनी चाहिए जो कर्मचारी को समझ आ पाए. अगर काम के सिलसिले में किसी व्यक्ति को अपना देश छोड़ना पड़ता है, तो सप्लायर को इसका लिखित कानूनी समझौता उसे देश छोड़ने से पहले देना होगा. व्यक्ति के दूसरे देश में पहुंच जाने के बाद, कानूनी समझौते में किसी भी तरह के बदलाव की अनुमति नहीं होती है. हालांकि, स्थानीय कानूनों का पालन करने और उस कर्मचारी को दूसरों के बराबर या उनसे बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ऐसा किया जा सकता है.

2.2 कम उम्र के कर्मचारी और इंटर्नशिप कर रहे छात्र/छात्राएं. सप्लायर बाल मज़दूरी नहीं कराएंगे. यहां “बाल” शब्द का मतलब हर उस बच्चे से है जिसकी उम्र 15 साल या ज़रूरी शिक्षा पूरी करने के लिए तय की गई उम्र से कम है. इसके अलावा, देश के कानून के हिसाब से रोज़गार पाने की तय उम्र से छोटे बच्चों पर भी यह नियम लागू होता है. इनमें से जो भी उम्र सबसे ज़्यादा होगी उस उम्र तक के बच्चों से सप्लायर मज़दूरी नहीं कराएंगे. कर्मचारियों की उम्र की पुष्टि करने के लिए, सप्लायर एक मान्य तरीका अपनाएंगे. अगर बाल मज़दूरी का पता चलता है, तो सप्लायर को इस पर कार्रवाई करनी होगी.

इसके अलावा, 18 साल से कम (“युवा कर्मचारी”) उम्र के लोग ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे उनकी सेहत या सुरक्षा को कोई खतरा हो. जैसे, रात की शिफ़्ट में काम करना और ओवरटाइम करना. सप्लायर, ऐसे अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम शुरू कर सकते हैं जो कानूनी रूप से मान्य हों और ठीक तरह से मैनेज किए जा रहे हों. जैसे, छात्र/छात्राओं के लिए उनसे जुड़े फ़ील्ड में इंटर्नशिप वाले प्रोग्राम. ऐसे प्रोग्राम शुरू करने वाले सप्लायर को छात्र-छात्राओं के रिकॉर्ड रखने होंगे, एजुकेशनल पार्टनर की जांच करने के लिए ज़रूरी कार्रवाई करनी होगी, और छात्र-छात्राओं के अधिकारों की सुरक्षा करनी होगी. उन्हें ये सभी कार्रवाइयां, लागू होने वाले नियमों और कानूनों के दायरे में रहकर करनी होंगी. अगर इस बारे में कोई स्थानीय नियम और कानून नहीं है, तो सप्लायर को छात्र/छात्राओं, इंटर्न, और अप्रेंटिस को उतना वेतन देना होगा जितना उनसे मिलते-जुलते काम करने वाले नए लोगों को मिलता है.

2.3 वेतन और अन्य सुविधाएं. सप्लायर अपने कर्मचारियों को समय पर कानूनी रूप से मान्य वेतन और अन्य सुविधाएं देंगे. साथ ही, उन्हें स्थानीय कानूनों के मुताबिक ओवरटाइम का पेमेंट करना होगा. यह पेमेंट, घंटे के हिसाब से काम करने की सामान्य दरों से ज़्यादा दरों पर किया जाना चाहिए. स्थानीय कानूनों के मुताबिक इन स्थितियों को अपवाद माना जा सकता है: जब (i) किसी व्यक्ति ने वेतन वगैरह के लिए ऐसा सामूहिक कानूनी समझौता स्वीकार किया हो जिसके तहत सप्लायर को ऊपर बताई कार्रवाइयों के अलावा अन्य कार्रवाई करने की अनुमति मिली है या (ii) वह कोई पेशेवर कर्मचारी हो.2 सप्लायर को यह पक्का करना होगा कि एक जैसे काम/स्किल और ज़िम्मेदारियों के हिसाब से कर्मचारियों को बराबर पेमेंट किया जाए. इसके अलावा, सप्लायर को अपने कर्मचारियों को समय पर ऐसी पे स्लिप या इसी तरह का कोई अन्य दस्तावेज़ देना होगा जो उन्हें आसानी से समझ आ पाए. इसमें सप्लायर को उन्हें साफ़ तौर पर यह बताना होगा कि उन्हें किस आधार पर वेतन दिया जा रहा है. वे अनुशासन से जुड़ी कार्रवाई के नाम पर वेतन में कटौती नहीं करेंगे.

2.4 काम के घंटे. सप्लायर अपने कर्मचारियों से हर हफ़्ते 60 घंटों (ओवरटाइम के साथ) या फिर स्थानीय कानून के हिसाब से काम करने के घंटों की तय सीमा से ज़्यादा समय तक काम नहीं कराएंगे. इन दोनों में से जो भी संख्या कम होगी वह मान्य होगी. स्थानीय कानूनों के मुताबिक इन स्थितियों को अपवाद माना जा सकता है: जब (i) किसी व्यक्ति ने वेतन वगैरह के लिए ऐसा सामूहिक कानूनी समझौता स्वीकार किया हो जिसके तहत सप्लायर को ऊपर बताई कार्रवाइयों के अलावा अन्य कार्रवाई करने की अनुमति मिली है, (ii) वह कोई पेशेवर कर्मचारी हो3 या (iii) जब उसे ऐसी आपातकालीन या असामान्य स्थितियों में काम पड़ा हो जिसकी उम्मीद नहीं थी. कर्मचारियों को हर सात दिन में कम से कम एक दिन की छुट्टी ज़रूर मिलनी चाहिए. सप्लायर अपने कर्मचारियों को कानूनी रूप से ज़रूरी ब्रेक या उनकी ज़रूरत के मुताबिक ब्रेक देंगे.

2.5 सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करना और उनसे भेदभाव न करना. सप्लायर से उम्मीद की जाती है कि वे किसी के साथ भी अमानवीय व्यवहार करने या इसकी धमकी देने की छूट नहीं देंगे. जैसे, हिंसा करने, उत्पीड़न करने, बुरा बर्ताव करने, शारीरिक दंड देने, मानसिक या शारीरिक तौर पर ज़बरदस्ती करने, धमकाने या सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की छूट देना.

सप्लायर को काम करने की जगह पर सभी लोगों को बराबर अवसर देने होंगे. साथ ही, उन्हें दिव्यांगता, धर्म या गर्भावस्था से जुड़ी सुविधाएं भी उपलब्ध करानी होंगी. सप्लायर से यह भी उम्मीद की जाती है कि वे भर्ती, नियुक्ति या रोज़गार देने की प्रक्रिया में भेदभाव नहीं करेंगे. साथ ही, वे वेतन, प्रमोशन, इनाम, और अलग-अलग ट्रेनिंग के मामलों में इन स्थितियों के आधार पर भेदभाव नहीं करेंगे: नस्ल, रंग, उम्र, सेक्स, जेंडर, लैंगिक पहचान, यौन झुकाव, प्रवासी, सेक्शुअल ओरिएंटेशन (यौन रुझान), वैवाहिक स्थिति, जाति, मूल, राष्ट्रीयता, जातीयता, दिव्यांगता, आनुवंशिक जानकारी, सेहत से जुड़ी जानकारी, गर्भावस्था, धर्म, राजनैतिक जुड़ाव, यूनियन की सदस्यता, पूर्व सैनिक होना, शरीर पर बनी किसी कलाकृति, आपराधिक इतिहास या कानूनी रूप से संरक्षित अन्य स्थितियां. सप्लायर अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य से जुड़ी गैर-कानूनी जांच (जैसे, गर्भावस्था की जांच) कराने के लिए मजबूर नहीं करेंगे. वे ऐसा उन लोगों के साथ भी नहीं करेंगे जो भविष्य में उनकी कंपनी में काम कर सकते हैं. इसके अलावा, वे शारीरिक क्षमताओं की ऐसी जांच भी नहीं करवाएंगे जिनका इस्तेमाल किसी के साथ भेदभाव करने के लिए किया जा सकता है.

2.6 विविधता और बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को अवसर देना. सप्लायर को ऐसी नीतियां और तौर-तरीके तैयार करने चाहिए जिनसे वर्कप्लेस में विविधता और निष्पक्षता के बारे में पता चले और यह देखा जा सके कि असल में इन पहलुओं का कितना ध्यान रखा जा रहा है. उनसे ऐसा माहौल तैयार करने में भी मदद मिलनी चाहिए जिसमें विविधता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिले.

2.7 किसी यूनियन से जुड़ने और वेतन वगैरह के लिए सामूहिक शर्तें तय करने की आज़ादी. कर्मचारियों के पास बिना पाबंदी के किसी यूनियन से जुड़ने, वेतन वगैरह के लिए सामूहिक शर्तें तय करने, और स्थानीय कानून के दायरे में रहकर अपना यूनियन बनाने और किसी अन्य यूनियन से जुड़ने की आज़ादी होगी. अगर स्थानीय कानूनों की वजह से, कर्मचारियों को किसी यूनियन के साथ जुड़ने और वेतन वगैरह के लिए सामूहिक शर्तें तय करने की आज़ादी नहीं है, तो वहां उनके पास अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए कानून के दायरे में रहकर यूनियन बनाने और उसमें शामिल होने का अधिकार होना चाहिए.

2.8 सुरक्षाबल तैनात करना. सप्लायर को निजी या सार्वजनिक तौर पर ऐसे सुरक्षाबल तैनात नहीं करने चाहिए जो यूनियन बनाने की आज़ादी को नियंत्रित करें या जो इस तरह के काम करें कि लोगों को परेशानी हो, उनके साथ अमानवीय बर्ताव हो, उनका अपमान हो या जिससे उन्हें शारीरिक चोट पहुंचे. इसके अलावा, सुरक्षाबलों को ऐसे काम भी नहीं करने चाहिए जो स्थानीय कानून के तहत गैर-कानूनी माने जाते हैं.

1 रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलायंस की तय की हुई, शुल्क की परिभाषा
2 रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलायंस की तय की हुई, शुल्क की परिभाषा
3 रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलायंस की तय की हुई, शुल्क की परिभाषा

   3. सेहत और सुरक्षा

Google उम्मीद करता है कि सप्लायर ऐसा माहौल उपलब्ध कराएं जिसमें सभी लोग सेहतमंद रहें और सुरक्षित महसूस करें. सप्लायर को अपने कर्मचारियों को खतरों से बचाने की कोशिश करनी चाहिए. उन्हें अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े तौर-तरीके भी जोड़ने चाहिए. इसके लिए, सप्लायर को अपने कारोबार में इन ज़रूरी शर्तों को शामिल करना होगा:

3.1 कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े नियमों और कानूनों का पालन करना. सप्लायर को अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े सभी नियमों और कानूनों का पालन करना होगा. साथ ही, उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े जोखिमों की पहचान, उनका आकलन, और उन्हें कम करने की कोशिश करनी होगी. इन जोखिमों में ये चीज़ें शामिल हैं: रासायनिक, जैविक, शारीरिक नुकसान, और मुश्किल हालात में काम करने से जुड़े जोखिम, बिजली और दूसरे ऊर्जा स्रोत से झटका लगने, आग लगने, वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने, गिरने, और शारीरिक रूप से बहुत मेहनत वाला काम करवाने से जुड़े जोखिम. जोखिमों को कम करने के तरीकों में ये शामिल हो सकते हैं: जोखिम को खत्म करना, प्रक्रियाओं या सामग्री में बदलाव करना, सही डिज़ाइन के ज़रिए खतरों को कम करना, दुर्घटना रोकने की रणनीतियां और एडमिन कंट्रोल लागू करना, समय-समय पर उपकरणों की जांच करना और सुरक्षित तरीके से काम करने की प्रक्रियाएं लागू करना, और स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी जानकारी और ट्रेनिंग देना.

जब ये तरीके अपनाकर जोखिम कम न किए जा सकें, तब सप्लायर बिना किसी शुल्क के अपने कर्मचारियों के लिए सुरक्षा संबंधी निजी उपकरण उपलब्ध कराएंगे. वे अपने कर्मचारियों को यह जानकारी भी देंगे कि इन उपकरणों को सही तरीके से कब और कैसे इस्तेमाल करना है. वे उन्हें खतरों में शामिल जोखिमों के बारे में भी बताएंगे. सप्लायर, अपने वर्कप्लेस में ऐसी स्थितियों का पता लगाएंगे जिनसे गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अलग-अलग खतरे पैदा हों. वे इन खतरों को कम करने या मिटाने के लिए ज़रूरी कार्रवाइयां भी करेंगे. साथ ही, वे उन महिलाओं को खतरे की जानकारी और ज़रूरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराएंगे.

3.2 काम करने के दौरान कर्मचारियों को चोट लगने या बीमार होने से बचाना. सप्लायर, काम करने के दौरान कर्मचारियों को चोट लगने और बीमार होने से रोकने, उनका इलाज करने, उनकी निगरानी करने, उनसे जुड़े दस्तावेज़ तैयार करने, और उन्हें रिपोर्ट करने की ज़रूरी प्रक्रियाएं लागू करेंगे. उन्हें कर्मचारियों को बढ़ावा देना चाहिए कि वे अपनी चोट या बीमारी के बारे में जानकारी दें. इसके लिए, उनके ख़िलाफ़ अनुशासन या अन्य तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. चोट और बीमारी के मामलों की कैटगरी तय करने के बाद उनका रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए और उनकी जांच-पड़ताल की जानी चाहिए. चोटिल या बीमार व्यक्ति का इलाज किया जाना चाहिए. इस तरह के मामले कम करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने के साथ-साथ, काम पर वापस आने वाले कर्मचारियों की मदद भी की जानी चाहिए. सप्लायर को अपने कर्मचारियों के काम करने के घंटों पर नज़र रखनी चाहिए. उन्हें यह भी देखना चाहिए कि काम करने के दौरान लगी चोट और/या बीमारी की वजह से, कोई कर्मचारी कितने दिन काम नहीं कर पाया.

3.3 आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहना. सप्लायर को पता लगाना होगा कि उनके वर्कप्लेस में कौन-कौनसी आपातकालीन स्थितियां हो सकती हैं. साथ ही, उन्हें इन स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा. जब ज़रूरी हो, तब सप्लायर को आपातकालीन योजनाएं लागू करनी होंगी और आपातकालीन स्थितियों में मदद करने वाली सेवाओं की संपर्क जानकारी देनी होगी. इसके अलावा, उन्हें कर्मचारियों को दुर्घटनाओं से निपटने की प्रक्रियाओं के बारे में भी बताना होगा. जैसे, आपातकालीन स्थिति की सूचना देना, कर्मचारियों को आगाह करना और उन्हें वर्कप्लेस से सुरक्षित बाहर निकालना, उन्हें अभ्यास कराना, आग का पता लगाने और उसे बुझाने से जुड़े उपकरण उपलब्ध कराना, बाहर निकलने की सुविधाएं देना, और व्यवस्था बहाल करने से जुड़ी योजनाएं लागू करना. सप्लायर को अपने कर्मचारियों के लिए आपातकालीन अभ्यास कराना होगा. ऐसा साल में कम से कम एक बार या स्थानीय कानून के अनुसार, जो भी ज़्यादा सख्त हो, करना होगा.

3.4 मशीनों को सुरक्षित बनाए रखना. सप्लायर को समय-समय पर सभी मशीनों की जांच करनी होगी और कर्मचारियों की सुरक्षा से जुड़े जोखिमों का पता लगाना होगा. साथ ही, ज़रूरत पड़ने पर उन्हें मशीनों पर ऐसे कंट्रोल भी लगाने होंगे जिनसे मशीनें सुरक्षित रहें. जैसे, उन पर गार्ड लगाना, उन्हें इंटरलॉक करना, ऐसे डिवाइस लगाना जिनके ज़रिए मशीनों को बंद किया जा सके, और अन्य कंट्रोल.

3.5 सफ़ाई, खाना, और आवास. सप्लायर, अपने कर्मचारियों को साफ़ शौचालय और साफ़ पानी पीने की सुविधा देंगे. साथ ही, वे अपने कर्मचारियों के लिए खाना तैयार करने, उसे स्टोर करने, और खाना खाने के लिए साफ़-सुथरी जगह उपलब्ध कराएंगे. अगर सप्लायर, कर्मचारियों को रहने की सुविधाएं देते हैं, तो वे सुविधाएं साफ़ और सुरक्षित होनी चाहिए. साथ ही, वहां कर्मचारी की ज़रूरत के मुताबिक जगह, आने-जाने का रास्ता, आपातकालीन स्थिति में बाहर निकलने की सुविधा, जगह को गर्म रखने और हवा के आने-जाने की व्यवस्था, रोशनी, और नहाने के लिए गर्म पानी होना चाहिए.

3.6 दस्तावेज़. सप्लायर को ज़रूरी ट्रेनिंग, जोखिमों के आकलन, खतरों के विश्लेषण, सुरक्षा से जुड़ी डेटा शीट, और सूचनाओं या उल्लंघनों से जुड़ी जानकारी का रिकॉर्ड रखना होगा. स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े कानूनों और इंडस्ट्री के सबसे सही तरीकों के मुताबिक ऐसा करना ज़रूरी होता है. साथ ही, उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े मामलों को मैनेज करने वाले अपने सिस्टम के दस्तावेज़ भी उपलब्ध कराने होंगे. उन्हें चोट और बीमारी की रोकथाम के लिए चलाए गए प्रोग्राम और आपातकालीन स्थितियों में लागू की गई योजनाओं का रिकॉर्ड भी रखना होगा. ऐसा उन्हें अपने काम को ध्यान में रखते हुए करना होगा. सप्लायर को, काम के दौरान हुई दुर्घटनाओं और कर्मचारियों को लगी चोटों की जानकारी से जुड़े दस्तावेज़ तैयार रखने होंगे. जैसे, काम के दौरान कितने लोग बीमार हुए या कितने लोगों को चोट लगी, चोट लगने की दर कितनी है, और उस बीमारी या चोट की वजह से कोई व्यक्ति कितने दिन तक काम पर नहीं आ पाया. Google के अनुरोध करने पर ही सप्लायर यह जानकारी उपलब्ध कराएंगे.

   4. पर्यावरण की सुरक्षा

Google का मानना है कि बेहतरीन प्रॉडक्ट बनाने के साथ-साथ पर्यावरण को ध्यान में रखकर काम करना भी बहुत ज़रूरी है. इसके लिए, मैन्युफ़ैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन से जुड़ी गतिविधियों के दौरान, सप्लायर को ऐसी प्रक्रियाएं इस्तेमाल करनी होंगी जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर पाएं. इसके अलावा, उन्हें समुदाय और प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ने वाले बुरे असर को कम करने के लिए प्रतिबद्ध रहना होगा. साथ ही, उन्हें उस जगह के लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा जहां वे काम कर रहे हैं. इसके लिए, सप्लायर को अपने कारोबार में इन ज़रूरी शर्तों को शामिल करना होगा:

4.1 पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़ी अनुमतियां लेना और ज़रूरी जानकारी मुहैया कराना. सप्लायर को पर्यावरण से जुड़ी सभी ज़रूरी अनुमतियां और मंज़ूरी लेनी होगी. उन्हें सभी ज़रूरी रजिस्ट्रेशन भी कराने होंगे और ऐसे सभी दस्तावेज़ अपडेट रखने होंगे. इसके अलावा, उन्हें अपनी कामकाजी ज़रूरतों और ज़रूरी जानकारी मुहैया कराने की शर्तों को भी पूरा करना होगा.

4.2 प्रदूषण कम करना और प्राकृतिक संसाधनों का कम इस्तेमाल करना. सप्लायर को प्रदूषण फैलाने वाले उन कारकों को कम करना होगा या पूरी तरह से रोकना होगा जिनका पर्यावरण/इंसानों पर बुरा असर पड़ता है. जैसे, ज़हरीली गैसों और प्रदूषण फैलाने वाले कारकों का उत्सर्जन, कचरा, और ध्वनि प्रदूषण. साथ ही, उन्हें भूमि क्षरण को भी रोकना या कम करना होगा. इसके लिए, उन्हें अलग-अलग तरीके अपनाने होंगे. जैसे, प्रदूषण रोकने से जुड़े उपकरण इस्तेमाल करना, प्रोडक्शन की प्रक्रियाओं में बदलाव करना, मशीनों का रखरखाव करना, बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना वगैरह. सप्लायर को प्राकृतिक संसाधनों का कम इस्तेमाल करना होगा. इनमें पानी, जीवाश्म ईंधन, कच्चा माल, खनिज, और जंगलों में पाई जाने वाली ऐसी चीज़ें शामिल हैं जिनकी संख्या न के बराबर है. इसके लिए, उन्हें अलग-अलग तरीके अपनाने होंगे. जैसे, प्रोडक्शन की प्रक्रियाओं में बदलाव करना, मशीनों का रखरखाव करना, बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना, वैकल्पिक सामग्री इस्तेमाल करना, सामग्री को रीसाइकल करना/उसका दोबारा इस्तेमाल करना, संरक्षण करना, पानी का कम इस्तेमाल करना और कम कचरा करना वगैरह.

4.3 खतरनाक और प्रतिबंधित पदार्थ. सप्लायर को ऐसे रसायनों, कचरे, और अन्य सामग्री के इस्तेमाल का पता लगाना होगा जिनकी वजह से, इंसानों और पर्यावरण को खतरा हो सकता है. उन्हें इन चीज़ों को लेबल और मैनेज भी करना होगा. इससे वे ये काम सुरक्षित तरीके से कर पाएंगे: उन्हें मैनेज करना, इधर-उधर ले जाना, इस्तेमाल करना, स्टोर करना, रीसाइकल करना/दोबारा इस्तेमाल करना, और उनका निपटारा करना. किसी खतरनाक सामग्री से होने वाले असर को रोकने के लिए, सप्लायर अपने कारखानों से निकल रही ज़हरीली गैसों, गंदे पानी, और कचरे का पता लगाएंगे और इन पर नज़र रखेंगे. साथ ही, इन्हें नियंत्रित करने, कम करने, सुरक्षित तरीके से मैनेज करने की ज़िम्मेदारी भी सप्लायर की ही होगी. सप्लायर को खास पदार्थों का इस्तेमाल करने के लिए Google के बनाए हुए, प्रतिबंधित पदार्थ बनाने से जुड़े नियमों का पालन करना होगा. इन नियमों में, रीसाइकल और निपटारा करने के मकसद से उन पदार्थों को लेबल करने से जुड़ी शर्तें भी शामिल हैं. सप्लायर को, नुकसान पहुंचाने वाले कचरे को कम या नष्ट करने की कोशिश करनी होगी. उन्हें लागू कानूनों के मुताबिक ही ऐसे कचरे को मैनेज करना होगा. साथ ही, उन्हें इस तरह के कचरे को ऐसी जगहों पर नष्ट करना होगा जहां इसकी अनुमति है. इन कानूनों के मुताबिक सप्लायर की कई ज़िम्मेदारियां हो सकती हैं. जैसे, गैर-कानूनी तरीके से कचरे का निपटारा करने और बारिश के पानी की निकासी के लिए बनी नालियों में कचरा गिराने या मिट्टी में कचरा मिलाने जैसी गतिविधियों को रोकना. इसके अलावा, सप्लायर को नुकसान पहुंचाने वाले कचरे से जुड़े डेटा को ट्रैक करना होगा और इसके दस्तावेज़ तैयार करने होंगे.

4.4 पानी के इस्तेमाल और नुकसान न पहुंचाने वाले कचरे को कम करना और उसे मैनेज करना. सप्लायर को पानी के इस्तेमाल को मैनेज करने के लिए, एक ऐसा प्रोग्राम डिज़ाइन और लागू करना होगा जो पानी के स्रोतों, उनके इस्तेमाल, और निकास से जुड़े डेटा के दस्तावेज़ तैयार कर पाए, उनकी जानकारी बता सके, और उन्हें ट्रैक कर सके. साथ ही, पानी बचाने के तरीके खोजना और पानी को दूषित होने से बचाना शामिल है. इसके अलावा, सप्लायर को हर तरह के कचरे को कम या नष्ट करने की कोशिश करनी होगी. अगर कचरे को नष्ट नहीं किया जा सकता, तो सप्लायर को उस पर लागू होने वाले सभी नियमों और कानूनों के मुताबिक उसे मैनेज और कंट्रोल करना होगा. ऐसा उन्हें पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को ध्यान में रखकर सुरक्षित तरीके से करना होगा. पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सप्लायर कई ज़िम्मेदारियां निभा सकते हैं. जैसे, गैर-कानूनी तरीके से कचरे का निपटारा करने और बारिश के पानी की निकासी के लिए बनी नालियों में कचरा गिराने या मिट्टी में कचरा मिलाने जैसी गतिविधियों को रोकना. यह भी ज़रूरी है कि सप्लायर, कारखाने में अलग-अलग कामों की वजह से जमा हुए गंदे पानी की निकासी और ठोस कचरे के निपटारे से पहले ज़रूरत के मुताबिक ठोस कदम उठाएं. सप्लायर को पानी के इस्तेमाल और उसके निकास से जुड़ी जानकारी को ट्रैक करना होगा और उसके दस्तावेज़ तैयार करने होंगे. उन्हें पानी और नुकसान न पहुंचाने वाले कचरे से निकलने वाले उन कारकों के लिए भी ऐसा करना होगा जो प्रदूषण फैलाते हैं.

4.5 ऊर्जा की खपत और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन. सप्लायर को अपनी सभी प्रक्रियाओं में ऐसी रणनितियां लागू करनी होंगी जिनसे ऊर्जा की ज़्यादा बचत, कम खपत, और ग्रीनहाउस गैसों (“जीएचजी”) का कम उत्सर्जन हो. सप्लायर को ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन को कम करने के लिए एक लक्ष्य तय करना होगा. साथ ही, अपने इस लक्ष्य की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी. सप्लायर को ऊर्जा की खपत के साथ-साथ स्कोप 1, और स्कोप 2 और स्कोप 3 की चुनिंदा कैटगरी की जीएचजी उत्सर्जन की जानकारी ट्रैक करनी होगी, इसका दस्तावेज़ तैयार करना होगा, और दस्तावेज़ को सार्वजनिक करना होगा. सप्लायर को Google प्रॉडक्ट के प्रोडक्शन के लिए, हर साल ज़्यादा स्वच्छ ऊर्जा खरीदनी होगी. उन्हें हर साल स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी अपनी खरीदारी को प्रमाणित करना होगा. साथ ही, यह बताना होगा कि इस ऊर्जा का इस्तेमाल उन्होंने कौन-कौनसे Google प्रॉडक्ट बनाने में किया. सप्लायर को यह ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि वे साल 2030 तक Google के प्रॉडक्ट और सेवाओं से जुड़े अपने कामों के लिए पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे.

4.6 दस्तावेज़. सप्लायर को ज़रूरी ट्रेनिंग, जोखिमों के आकलन, अनुमतियों, और सूचनाओं/उल्लंघनों से जुड़ी जानकारी का रिकॉर्ड रखना होगा. पर्यावरण से जुड़े कानूनों और इंडस्ट्री के सबसे सही तरीकों के मुताबिक ऐसा करना ज़रूरी होता है. उन्हें पर्यावरण से जुड़े मामलों में काम करने के अपने तरीकों से जुड़े दस्तावेज़ तैयार करने होंगे. इससे वे नुकसान पहुंचाने वाली सामग्री/कचरे और उनसे पर्यावरण पर होने वाले असर को कम करने के लिए लागू की गई योजनाओं की जानकारी दे पाएंगे. ऐसा उन्हें अपने काम को ध्यान में रखते हुए करना होगा.

   5. नैतिक मूल्य

Google अपने सप्लायर से यह उम्मीद करता है कि वे नैतिकता के ऊंचे मानकों को कायम रखेंगे. इसके लिए, सप्लायर साफ़ तौर पर नीतियां, प्रक्रियाएं, और ट्रेनिंग तैयार करने के साथ-साथ नैतिकता भी दिखाएं. इन सभी का लक्ष्य कारोबार में नैतिकता कायम करना होना चाहिए. कारोबार में ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिए, सप्लायर को अपने बिज़नेस ऑपरेशंस में इन ज़रूरी शर्तों को शामिल करना होगा:

5.1 कारोबार में ईमानदारी. सप्लायर को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने काम में ऐसी कोई भी स्थिति पैदा न होने दें जिससे उनके और Google के बीच हितों का टकराव हो. अगर सप्लायर का Google के किसी कर्मचारी से वित्तीय, निजी या पारिवारिक रिश्ता है और लोगों की भर्ती, मैनेजमेंट या Google से जुड़े कामों में उस व्यक्ति की भूमिका है, तो उन्हें तुरंत हमें इसकी जानकारी देनी होगी. अगर सप्लायर कारोबार के तहत Google के किसी कर्मचारी को कोई उपहार देते हैं, तो उन्हें ऐसे उपहार कभी-कभार ही देने चाहिए. साथ ही, कारोबार के तहत दिए जाने वाले ये उपहार बहुत महंगे नहीं होने चाहिए. उन्हें अपने बही-खातों और रिकॉर्ड में अपने कारोबारी सौदों की सटीक जानकारी भी दिखानी होगी.

सप्लायर को किसी भी तरह की रिश्वत का लेन-देन, भ्रष्टाचार, जबरन वसूली या गबन नहीं करना चाहिए. साथ ही, उन्हें खुद या किसी और के ज़रिए गैर-कानूनी पेमेंट नहीं करने चाहिए. उन्हें Google के लिए या उसकी तरफ़ से, अपने काम से जुड़ा कोई कैंपेन शुरू करने या राजनैतिक योगदान देने की अनुमति भी नहीं है. भ्रष्टाचार रोकने, निष्पक्ष कारोबार करने, विज्ञापन दिखाने, और अन्य कारोबारों से होने वाली प्रतिस्पर्धा से जुड़े कानूनों का पालन किया जा रहा है या नहीं, यह पक्का करने के लिए सप्लायर को ये प्रक्रियाएं लागू और मैनेज करनी होंगी: निगरानी करना, जानकारी का रिकॉर्ड रखना, और नीति उल्लंघन ठीक करना.

5.2 बौद्धिक संपत्ति. सप्लायर को बौद्धिक संपत्ति के अधिकारों का सम्मान करना होगा. उन्हें ऐसी तकनीकों और जानकारी देने वाली सुविधाओं का इस्तेमाल करना होगा जिनसे बौद्धिक संपत्ति के अधिकार सुरक्षित रह पाएं. साथ ही, इनसे ग्राहकों और सप्लायर की जानकारी को भी सुरक्षित रखा जा सके.

5.3 सप्लायर की पूरी ज़िम्मेदारी निभाना. सप्लायर को कच्चे माल से लेकर Google को उपलब्ध कराए जा रहे फ़ाइनल प्रॉडक्ट या सेवा के लिए अपनी सप्लाई चेन मैप करनी होगी. जब Google उनसे सप्लाई चेन की मैपिंग और सामग्री की कस्टडी की चेन से जुड़ा डेटा मांगेगा, तब उन्हें वह डेटा उपलब्ध कराना होगा. इसमें सामग्री का बिल, परचेज़ ऑर्डर (पीओ), और पेमेंट की जानकारी जैसा डेटा शामिल है. इससे वे सप्लाई चेन की जांच से जुड़ी ज़रूरी कार्रवाइयां करने की अपनी ज़िम्मेदारियां निभा पाएंगे. साथ ही, हर कच्चे माल और इनपुट के सोर्स के साथ-साथ उसे मैनेज करने का तरीका भी बता पाएंगे. सप्लायर को यह पक्का करने के लिए नीतियां और प्रक्रियाएं तैयार करनी होंगी कि उनके बनाए गए प्रॉडक्ट में टैंटलम, टिन, टंगस्टन, सोना, कोबाल्ट, और अन्य ज़रूरी खनिज और सुविधाओं का इस्तेमाल, सप्लाई चेन की जांच से जुड़ी ज़रूरी कार्रवाई करने वाले मान्य फ़्रेमवर्क के मुताबिक किया जा रहा हो. सप्लायर को सामग्री के सोर्स और इन खनिजों के कस्टडी की चेन की जांच से जुड़ी ज़रूरी कार्रवाई करनी होगी. जब Google इस जानकारी का अनुरोध करेगा, तब उन्हें यह जानकारी उपलब्ध करानी होगी.

5.4 निजता बनाए रखना और जानकारी सुरक्षित रखना. सप्लायर को हर उस व्यक्ति की निजी जानकारी सुरक्षित रखनी होगी जिनके साथ वे कारोबार करते हैं. इनमें उनके सप्लायर, खरीदार, उपभोक्ता, और कर्मचारी शामिल हैं. निजी जानकारी इकट्ठा करने, स्टोर करने, उसका इस्तेमाल करने, उसे ट्रांसफ़र करने, और शेयर करने के दौरान सप्लायर को निजता बनाए रखने और जानकारी की सुरक्षा से जुड़े नियमों और कानूनों का पालन करना होगा. सप्लायर को किसी भी कर्मचारी की निजता में ज़बरदस्ती हस्तक्षेप करने का भी अधिकार नहीं होगा.

5.5 सुलभता. सप्लायर को वेब कॉन्टेंट की सुलभता से जुड़े दिशा-निर्देश 2.1 के लेवल AA का पालन करने वाले सबसे सही तरीकों, नई खोज, और सुलभता मानकों का इस्तेमाल करना होगा. इससे वे सभी के लिए बनाए गए प्रॉडक्ट और सेवाओं को, Google के उपयोगकर्ताओं और स्टेकहोल्डर तक पहुंचा पाएंगे.

   6. मैनेजमेंट सिस्टम तैयार करना

सप्लायर को एक ऐसा मैनेजमेंट सिस्टम तैयार करना होगा जो यह पक्का कर पाए कि उनके काम (a) Google की ज़रूरी शर्तों के साथ-साथ उन पर लागू होने वाले नियमों और कानूनों के मुताबिक किए जा रहे हों (b) आचार संहिता में बताई गई जिम्मेदारियां निभाकर किए जा रहे हों, और (c) आचार संहिता से जुड़े खतरों को पहचानने और उन्हें हटाने के बाद किए जा रहे हों. इस सिस्टम से, लगातार सुधार करते रहने में भी मदद मिलनी चाहिए.

सप्लायर को अपने मैनेजमेंट सिस्टम में ये विशेषताएं शामिल करनी होंगी:

  1. एक्ज़ीक्यूटिव लेवल, सार्वजनिक प्रतिबद्धता, और मानवाधिकारों का सम्मान और पर्यावरण को ध्यान में रखकर काम करने की ज़िम्मेदारी;
  2. अपने काम पर लागू होने वाले सभी कानूनों, नियमों, मानकों, और ज़रूरी शर्तों की पहचान करने, उनकी निगरानी करने, और उनका पालन करने में मदद करने वाली प्रक्रियाएं;
  3. जोखिम का आकलन और उसके मैनेजमेंट से जुड़ी प्रक्रियाएं. इनमें मानवाधिकार और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी कार्रवाई करने से जुड़ी ऐसी प्रक्रियाएं शामिल हैं जो आचार संहिता में बताए गए खतरों की पहचान कर पाएं, उन्हें कम कर पाएं, उन्हें प्राथमिकता दे पाएं, और उन खतरों से होने वाली समस्याओं को हल कर पाएं;
  4. अपने काम की जांच करना, निगरानी करना, और खुद को बेहतर बनाने से जुड़े लक्ष्यों और योजनाओं की लिखित जानकारी उपलब्ध कराना;
  5. अपने कर्मचारियों और आपको प्रॉडक्ट और सेवा उपलब्ध कराने वाले लोगों के लिए ऐसी ट्रेनिंग उपलब्ध कराना जो खुद आपने तय की हो. इससे आपको अपनी नीतियां लागू करने और आचार संहिता का पालन करने में मदद मिलेगी. साथ ही, लागू होने वाले कानूनी समझौते की शर्तों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी;
  6. कर्मचारियों, सप्लायर, और ग्राहकों को आचार संहिता, अपनी नीतियों, काम करने के तरीकों, लक्ष्यों, और परफ़ॉर्मेंस की जानकारी देने से जुड़ी प्रक्रिया और आचार संहिता के पालन से जुड़ी निगरानी करने की प्रक्रिया;
  7. कर्मचारियों और अन्य स्टेकहोल्डर के लिए मैनेजमेंट, काम करने के तरीकों, आचार संहिता में बताई गई शर्तों के बारे में सुझाव/राय देने या शिकायत करने से जुड़ी प्रक्रिया;
  8. ऐसा तरीका जिसके ज़रिए कर्मचारी अपनी पहचान ज़ाहिर किए बिना कोई शिकायत कर पाएं (ऐसा तब ही किया जा सकेगा, जब कानूनी तौर पर इसकी अनुमति हो). यह तरीका ऐसा होना चाहिए जो शिकायतकर्ता और शिकायत की जांच में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ की जाने वाली गलत कार्रवाइयों को रोकने में मदद कर पाए. साथ ही, अच्छी भावना से शिकायत करने वाले लोगों की गोपनीयता बनाए रखे और उनकी पहचान छिपाने में मदद करे. इसके ज़रिए, शिकायत करने की ऐसी प्रक्रिया तैयार होनी चाहिए जो सार्वजनिक हो और जिसके बारे में सभी कर्मचारियों को जानकारी दी गई हो. यह ऐसा तरीका होना चाहिए जो यह पक्का कर पाए कि सप्लायर, शिकायतों की इन प्रक्रियाओं को लगातार मॉनिटर करते हों, शिकायतों का रिकॉर्ड रखते हों, ज़रूरत के मुताबिक जांच करते हों, और उन पर कार्रवाई करते हों; और
  9. आंतरिक या बाहरी आकलनों, मूल्यांकनों, जांचों, समीक्षाओं, और शिकायतों में बताए गए उल्लंघनों के ख़िलाफ़ समय पर कार्रवाई करने की प्रक्रिया.

रेफ़रंस

हमने अपने सप्लायर के लिए ये शर्तें तय की हैं. ये शर्तें, इन मानकों और फ़्रेमवर्क के प्रति हमारे नैतिक मूल्यों और ज़िम्मेदारियों के आधार पर तय की गई हैं:

  • रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलायंस की आचार संहिता
  • रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलायंस की तय की हुई, शुल्क की परिभाषा
  • कारोबार और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांत
  • इंटरनैशनल बिल ऑफ़ ह्यूमन राइट्स
  • कार्यस्थल पर काम करने के लिए, इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन के तय किए हुए मौलिक सिद्धांत और अधिकार
  • इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन कनवेंशन्स ऑन मिनिमम एज (No. 138), वर्स्ट फ़ॉर्म्स चाइल्ड लेबर (No. 182), और फ़ोर्स्ड ऑर कंपल्सरी लेबर (No. 29)
  • वेब कॉन्टेंट की सुलभता से जुड़े दिशा-निर्देश (डब्ल्यूसीएजी) 2.1, लेवल AA
  • यूनाइडेट स्टेट्स फ़ेडरल एक्विज़िशन रेगुलेशन (एफ़एआर)
  • ऑर्गनाइज़ेशन फ़ॉर इकनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (“ओईसीडी”) गाइडलाइन्स फ़ॉर मल्टीनैशनल एंटरप्राइज़ेज़
  • ओईसीडी ड्यू डिलिजेंस गाइडेंस फ़ॉर रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस कंडक्ट
  • ओईसीडी ड्यू डिलिजेंस गाइडेंस फ़ॉर रिस्पॉन्सिबल सप्लाई चेन्स ऑफ़ मिनरल्स फ़्रॉम कॉन्फ़्लिक्ट-अफ़ैक्टेड ऐंड हाई-रिस्क एरियाज़
  • वॉलंटरी प्रिंसिपल्स ऑन सिक्योरिटी ऐंड ह्यूमन राइट्स

आचार संहिता से जुड़े ये नियम, रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलायंस की आचार संहिता के नियमों के आधार पर बनाए गए हैं.

सप्लायर के लिए, Google की तय की हुई आचार संहिता का आधिकारिक वर्शन अंग्रेज़ी में उपलब्ध है. इसलिए, अगर इस वर्शन के अनुवादों में कोई अंतर पाया जाता है, तो अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध वर्शन में बताए गए नियम मान्य होंगे.

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