उभरती हुई नायिका
कांगो की सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने 'Google सर्च' का इस्तेमाल कर अपने देश की महिलाओं को आगे बढ़ने के मौके उपलब्ध कराए.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों1 में से एक है. यहां लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती है. महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है जिससे बचने के लिए उनके पास ज़रूरी कानूनी सुरक्षा भी नहीं है. इसके अलावा, आमतौर पर उन्हें पढ़ाई से दूर ही रखा जाता है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों1 में से एक है. यहां उन्हें बाल विवाह और घरेलू हिंसा को सहन करना पड़ता है और पढ़ाई-लिखाई की सुविधा भी नहीं मिल पाती.
नीमा नेमादेमू का जन्म इतोम्ब्वे के कांगोलियाई गांव में हुआ था. आधुनिक टीके न मिल पाने की वजह से दो साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया. इस शारीरिक अक्षमता के चलते उनके कबीले के लोगों की नज़र में वह शादी लायक नहीं रह गई थीं, लेकिन इसका फ़ायदा यह हुआ कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा सकीं. साथ ही, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (डीआरसी) के गांवों की आम महिलाओं की ज़िंदगी जीने से भी बच गईं.
यूनिवर्सिटी से स्नातक करके करियर बनाकर जब वह घर लौटीं, तो उनके अंदर सामाजिक सेवा का जुनून आ गया था. उन्होंने तय किया कि वह अपनी शिक्षा का इस्तेमाल गांव में बदलाव लाने के लिए करेंगी. सबसे बढ़कर, वह मानती थीं कि समुदाय के पास जब जानकारी पहुंचेगी तो लोगों की उत्सुकताओं का समाधान होगा. साथ ही, इस पूरी प्रक्रिया का अच्छा उपयोग किया जा सकेगा और महिलाओं को अपना भविष्य संवारने की ताकत मिलेगी.
1 Thompson Reuters Foundation सर्वे, जून 2018
नीमा नेमादेमू का जन्म इत्वोम्बे के कांगोलियाई गांव में हुआ था. आधुनिक टीके न मिल पाने की वजह से दो साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया. इसकी वजह से हुई शारीरिक अक्षमता के चलते वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा सकीं और ग्रामीण डीआरसी की महिलाओं की रोज़मर्रा जैसी ज़िंदगी से दूर रह सकीं.
यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, अपने गांव लौटने पर उन्होंने तय किया कि वह अपनी शिक्षा का इस्तेमाल गांव में बदलाव लाने के लिए करेंगी. इन सबके अलावा, वह मानती थीं कि समुदाय के पास जानकारी का एक्सेस होने से उत्सुकता बढ़ेगी और महिलाओं को अपना भविष्य संवारने के लिए ताकत मिलेगी.
1 Thompson Reuters Foundation सर्वे, जून 2018
डीआरसी में सिर्फ़ 3.9% आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही है. नीमा का अंदाज़ा है कि इन उपयोगकर्ताओं में ज़्यादातर पुरुष हैं.
महिलाओं को मुफ़्त में डिजिटल शिक्षा मुहैया कराने के मकसद से 2012 में नीमा ने ममन शुजा मीडिया सेंटर की शुरुआत की. आज यह सेंटर महिलाओं और लड़कियों के इकट्ठा होने की सुरक्षित जगह बन गया है, ताकि वे अपने आस-पास की दुनिया को बेहतर तरीके से जान सकें. इसमें कई महिलाएं और लड़कियां पहली बार 'Google सर्च' का इस्तेमाल कर रही हैं. महिलाओं का यह समुदाय साथ मिलकर सवालों के जवाब ढूंढने, एक-दूसरे की मदद करने, और एक ऐसा भविष्य बनाने के लिए काम करता है, जिसमें नीमा की तरह ही सभी महिलाओं के पास अवसरों तक पहुंचने की सहूलियत हो. पिछले पाँच सालों में हज़ारों महिलाएं ममन शुजा आईं और शानदार भविष्य की ओर कदम बढ़ाया. यह उन कहानियों में से बस कुछ कहानियां ही हैं.
जिन चीज़ों के बारे में आपने सपने में भी नहीं सोचा था, अगर वे हकीकत बन जाएं तो आप उसके बारे में क्या कहेंगे? जब महिलाएं सेंटर पर आती हैं, तो अपने सामने रखे कंप्यूटर का इस्तेमाल करके, बिना कहीं गए ही पूरी दुनिया की सैर कर लेती हैं. इंटरनेट ने उनके लिए ऐसी दुनिया का दरवाज़ा खोल दिया है, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था. सिर्फ़ छूने भर से ही वे उन चीज़ों के नज़दीक पहुंच जाती हैं, जो इस ज़िंदगी में उनकी पहुंच से बाहर थीं.
आप उस चीज़ का हिसाब कैसे लगा सकते हैं, जब कोई चीज़ आपको वे चीज़ें समझा जाए, जिनके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं था? इंटरनेट ने उनके लिए ऐसी दुनिया का दरवाज़ा खोल दिया है, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था. सिर्फ़ छूने भर से ही वे उन चीज़ों के नज़दीक पहुंच जाती हैं, जो इस ज़िंदगी में उनकी पहुंच से बाहर थीं.
नीमा नेमादेमू
प्रिंसेस मुहिंडो मलेम्ब्रो
कार का इंजन कैसे बनाते हैं
दो साल पहले एक ऑटो गैराज में मैकेनिक के तौर पर काम कर रही, प्रिंसेस मलेम्ब्रो ने महिलाओं को उनके काम करने की जगह के ऊपर वाले फ़्लोर पर एक ऑफ़िस में जाते देखा. इस जगह का नाम ममन शुजा सेंटर था. प्रिंसेस मलेम्ब्रो ने अपनी शिफ़्ट खत्म होने के बाद, बिना यूनिफ़ॉर्म बदले ही ममन शुजा में सीखना शुरू किया. गैराज में अपने साथ काम करने वालों से एक कदम आगे रहने के लिए, वह 'सर्च' का इस्तेमाल कार की मरम्मत से जुड़े वीडियो या लेख ढूंढने के लिए करने लगीं.
दो साल पहले एक ऑटो गैराज में मैकेनिक के तौर पर काम कर रही प्रिंसेस मलेम्ब्रो ने अपनी शिफ़्ट खत्म होने के बाद, बिना यूनिफ़ॉर्म बदले ममन शुजा में सीखना शुरू किया - वह अब 'सर्च' का इस्तेमाल करके, अपने काम में सहकर्मियों से एक कदम आगे रहती हैं.
मैं पूरी दुनिया नहीं बदलने जा रही, पर मेरा ध्यान अपने गांव और समुदाय में बदलाव लाने पर है. सेंटर शुरू करने के पीछे मकसद था कि मैं लोगों की यह समझने में मदद कर सकूं कि बाहर की दुनिया कैसी है.
नीमा नेमादेमू
जब से मैं सेंटर पर आई हुई हूं, मैं दुनिया को ज़्यादा खुले नज़रिए से देखने लगी हूं. जब मैं Google या YouTube पर मिलने वाली दिलचस्प चीज़ों के बारे में दूसरे सदस्यों से बातें करती हूं, तो ऐसा लगता है जैसे मैं परिवार का हिस्सा हूं.
प्रिंसेस मुहिंडो मलेम्ब्रो
क्लेमेंटाइन नामासोमो
पाठ की योजना बनाना
जब शुरुआत में क्लेमेंटाइन नामासोमो सेंटर पर आईं तो उन्होंने संरक्षक के तौर पर काम करना शुरू किया, लेकिन अपना काम खत्म करने के बाद उनकी दिलचस्पी दूसरी महिलाओं के उन कामों में होने लगती जो वे कंप्यूटर पर करती थीं.
जब शुरुआत में क्लेमेंटाइन नामासोमो सेंटर पर आईं तो उन्होंने संरक्षक के तौर पर काम करना शुरू किया, लेकिन बाद में उनकी दिलचस्पी दूसरी महिलाओं के उन कामों में होने लगी जो वे कंप्यूटर पर करती थीं.
वह घर नहीं जा सकीं. वहीं बैठी कंप्यूटर देखती रहीं. मैं उनकी उत्सुकता देख सकती थी.
नीमा नेमादेमू
नीमा से मिले हौसले के चलते, क्लेमेंटाइन ने दूसरी महिलाओं के साथ कक्षाएं शुरू की और जल्दी ही इंटरनेट का इस्तेमाल करना सीख गईं. आज वह ममन शुजा में कर्मचारी हैं और कंप्यूटर सेंटर मैनेजर की हैसियत से काम कर रही हैं. वह महिलाओं के सवालों के जवाब देने और भविष्य में कारोबार शुरू करने की योजना बनाने के लिए 'सर्च' और 'अनुवाद' का इस्तेमाल करने में उनकी मदद करती हैं.
रिज़िकी बधेर्हेकुगुमा
एल्बम रिकॉर्ड करना
तीन बच्चों की मां रिज़िकी बधेर्हेकुगुमा, ममन शुजा में अपनी क्लास में जाने से पहले हर रोज़ सुबह नाश्ता बनाती हैं और बच्चों को स्कूल छोड़ती हैं. पेशे से अभिनेत्री और संगीतकार, रिज़िकी सेंटर पर कला और मनोरंजन के बारे में जानकारी एक्सेस करने और इनमें दिलचस्पी रखने वाले दूसरे लोगों को ढूंढने जाती हैं.
तीन बच्चों की मां रिज़िकी बधेर्हेकुगुमा, सेंटर पर फ़िल्म और संगीत में अपनी दिलचस्पी वाली चीज़ों के बारे में रिसर्च करने के लिए जाने से पहले हर रोज़ सुबह नाश्ता बनाती हैं और बच्चों को स्कूल छोड़ती हैं.
जब मैं पहली बार ममन शुजा में आई, मैंने बहुत सारे सवाल पूछे : ऑनलाइन कैसे जाते हैं? क्या यहां सिर्फ़ महिलाएं हैं? क्या यह वाकई काम की चीज़ है? पर जब टीचर ने मुझे अपना लिया और मैं स्वाहिली और फ़्रेंच सीखने लगी, तब मैंने खुद से कहा, 'यहां से मैं आगे बढ़ सकती हूं.'
रिज़िकी बधेर्हेकुगुमा
बधेर्हेकुगुमा, इब्राहिम, और मलेम्ब्रो एक-दूसरे से ममन शुजा में मिले और अब वे एक-दूसरे के साथ काम करते, और सेंटर में दूसरे लोगों के साथ अपनी ज़िंदगी की कहानियां शेयर करते हुए अपना समय बिताती हैं.
बधेर्हेकुगुमा, इब्राहिम, और मलेम्ब्रो एक-दूसरे से ममन शुजा में मिले और अब वे एक-दूसरे के साथ काम करते, और सेंटर में दूसरे लोगों के साथ अपनी ज़िंदगी की कहानियां शेयर करते हुए अपना समय बिताती हैं.
जब महिलाएं सेंटर पर आती हैं, तो उनके मन में तरह-तरह के सवाल होते हैं. कुछ महिलाएं फ़ैशन के बारे में जानना चाहती थीं, तो कुछ सिलाई मशीन चलाना सीखना चाहती थीं. ऐसी भी महिलाएं हैं जो स्कॉलरशिप पाने से जुड़ी जानकारी खोजने आती हैं, खाना बनाने की बेहतर कला सीखने आती हैं या ऑनलाइन नौकरी ढूंढने का तरीका जानने आती हैं. सभी महिलाएं अपनी-अपनी ज़रूरतों की वजह से आती हैं.
नीमा नेमादेमू
जमीला इब्राहिम
स्कॉलरशिप पाना
जमीला इब्राहिम अक्सर अपनी पड़ोसन को पति से गालियां सुनते देखती थीं. उस अनुभव ने उन्हें अन्याय से पीड़ित महिलाओं की मदद करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन उनके पास हाई स्कूल से आगे की पढ़ाई करने के लिए सुविधाएं नहीं थी. जमीला की दोस्त ने उन्हें नीमा और ममन शुजा से मिलाया. सेंटर की दूसरी लड़कियों की तरह ही जमीला भी आगे पढ़ना चाहती थीं. उन्होंने 'सर्च' के ज़रिए स्कॉलरशिप का पता लगाया ताकि उन्हें लॉ कॉलेज में दाखिला मिल सके.
जमीला इब्राहिम अक्सर अपनी पड़ोसन को पति से गालियां सुनते देखती थीं. इससे उन्हें अन्याय से पीड़ित महिलाओं की मदद करने के लिए हौसला मिला. जमीला की दोस्त ने उन्हें नीमा और ममन शुजा से मिलाया. जमीला ने 'सर्च' के ज़रिए स्कॉलरशिप का पता लगाया ताकि उन्हें लॉ कॉलेज में दाखिला मिल सके.
अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ ही इब्राहिम को ममन शुजा में अपने अंदर की कला को दिखाने की जगह भी मिली. वह गाती हैं और बधेर्हेकुगुमा के साथ फ़िल्मों के प्रोजेक्ट पर साथ में काम भी करती हैं.
अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ ही इब्राहिम को ममन शुजा में अपने अंदर की कला को दिखाने की जगह भी मिली. वह गाती हैं और बधेर्हेकुगुमा के साथ फ़िल्मों के प्रोजेक्ट पर साथ में काम भी करती हैं.
जब मैंने देखा कि महिलाओं, लड़कियों, और बच्चों का अक्सर अपमान किया जाता है और उनके साथ बुरा बर्ताव होता है, तो मैंने कानून की पढ़ाई करने का फ़ैसला किया. शुरुआत में किसी ने भी मुझे वकील बनने के लिए ज़रूरी जानकारी ढूंढने के लिए बढ़ावा नहीं दिया. पर मैं नीमा से प्रेरित थी.
जमीला इब्राहिम
नेमादेमू, डीआरसी के आस-पास ऐसे ही और सेंटर खोलना चाहती हैं, ताकि और महिलाओं को इससे ज्ञान और इससे मिलने वाले अवसरों का एक्सेस मिल सके. नीमा, प्रिंसेस, क्लेमेंटाइन, जमीला, और रिज़िकी जैसी महिलाएं एक साथ मिलकर, ममन शुजा में ऐसा समुदाय बनाने की कोशिश कर रही हैं जो सीखने और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए काम कर रहा है और एक-दूसरे की मदद कर रहा है.
महिलाओं, हम वाकई एक मां की भूमिका अदा करते हैं, न सिर्फ़ इस देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए. आप दूसरों से वे सभी चीज़ें शेयर करती हैं, जो आपके पास हैं. आप अपना प्यार, ज्ञान, मौके, और चुनौतियां सभी के साथ बाँटती हैं. जब आप चीज़ें शेयर करती हैं, तब आप हर इंसान में कुछ न कुछ बदलाव लाती हैं.
नीमा नेमादेमू
डायना ज़ेनिब अलहिन्दवी की फ़ोटोग्राफ़ी
जब महिलाएं सेंटर पर आती हैं, तो अपने सामने रखे कंप्यूटर का इस्तेमाल करके, बिना कहीं गए ही पूरी दुनिया की सैर कर लेती हैं. इंटरनेट ने उनके लिए ऐसी दुनिया का दरवाज़ा खोल दिया है, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था. सिर्फ़ छूने भर से ही वे उन चीज़ों के नज़दीक पहुंच जाती हैं, जो इस ज़िंदगी में उनकी पहुंच से बाहर थीं.
नीमा नेमादेमू II कोऑर्डिनेटर
यहां बताया गया है कि आप किस तरह मदद कर सकते हैं
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में महिलाओं के लिए डिजिटल एक्सेस का दायरा बढ़ाने और उनके समुदाय बनाने में नीमा नेमादेमू और ममन शुजा की मदद करें.