जानें कि किस तरह एक साइकल सवार आदमी, Google Maps की मदद से, घरों में बंद लोगों के पढ़ने के शौक को पूरा करता है
साइकल से किताबें डिलीवर करने वाले मतिया गैरावाल्या को लॉकडाउन के दौरान, Google Maps से न सिर्फ़ ज़्यादा पाठकों तक पहुंचने में मदद मिली, बल्कि इससे किताब बेचने वालों के लिए एक नई शुरुआत भी हुई.
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यहां मतिया गैरावाल्या चमकीली हरे रंग की किताब को टोकरी में रखकर, टोकरी को ऊपर बालकनी में जाते हुए देख रहे हैं: लॉकडाउन के दौरान, ग्राहकों को किताबें डिलीवर करने के लिए उन्होंने जो कुछ खास तरीके ढूंढ निकाले, यह उनमें से एक है.
अपनी साइकल से, इटली के टूरिन शहर की टेढ़ी-मेढ़ी गलियों में मानो वे कहीं गायब से हो जाते हैं. मतिया दिन के पांचवें ग्राहक के पास आए हैं. वे अपनी दुकान Liberia del Golem से किताबें लाकर, टूरिन शहर में अपने घरों में बंद दर्जनों ग्राहकों को डिलीवर कर रहे हैं. इटली में COVID-19 फैलने के बाद, किताबों की अपनी दुकान का उनका सपना टूटने के कगार पर था. Google Maps और साइकल चलाने का शौक उनके काम आया और उन्होंने सफलता की राह खोज ली.
टूरिन में जन्मे और पले-बढ़े 30 साल के मतिया को कम उम्र से ही किताबों में काफ़ी दिलचस्पी रही है. जब मातिया स्कूल में नहीं होते, तब वह अक्सर पुरानी किताबों की एक दुकान की धूल भरी अलमारियों के बीच मिलते थे. वे इस दुकान में काम किया करते थे. मतिया कहते हैं, “जब मैं बच्चा था, तो टेरी डियरी की किताबें बहुत पढ़ता था. जब वे इतिहास के बारे में बताते, तो उसमें हंसी-मज़ाक़ वाली कई बातें भी शामिल होती थीं. मुझे उनका यह अंदाज़ बेहद पसंद था.” कुछ साल बाद, मतिया ने इतिहास में लॉरिया मैजिस्ट्रल की डिग्री हासिल की. साथ ही, उन्होंने टूरिन में एक पुराना स्टोर खरीदा और किताबों की दुकान खोलने का अपना सपना पूरा किया. इस तरह से Libreria del Golem की शुरुआत हुई.
शुरुआती दिनों में मतिया अपनी दुकान में ही रहते और सोते थे. कारोबार को जमाने के लिए वे साढ़े तीन साल से संघर्ष कर रहे थे. हालांकि, उन्हें अब तक की सबसे मुश्किल चुनौती का सामना करना बाकी था और वह चुनौती थी COVID-19 महामारी. शहर में लॉकडाउन लगते ही, स्थानीय कारोबारियों ने अपने ग्राहकों और समुदायों से जुड़े रहने के लिए नए रास्ते तलाश किए.
मतिया ने 25 फ़रवरी, 2020 को अपनी और अपनी साइकल की फ़ोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की. फ़ोटो के कैप्शन में उन्होंने लिखा, “मैं आपके पास आऊंगा.” उन्होंने तय किया कि अगर लोग दुकान पर नहीं आ सकते, तो वह सुरक्षित तरीके से लोगों तक किताबें पहुंचाने का रास्ता ढूंढ लेंगे. फिर चाहे किताबों को टोकरी में रखकर ग्राहकों तक पहुंचाना हो या उनके घर की खिड़की पर बेहद सावधानी से पैकेट रख देना. मतिया कहते हैं, “एक छोटे से आइडिया से बड़ा बदलाव हो सकता है”.
कुछ ही दिनों के अंदर, उनकी इन्वेंट्री और किताबों की बिक्री तीन गुना बढ़ गई. मतिया का कारोबार वापस पटरी पर आ गया. हालांकि, अब उनके सामने नई चुनौतियां थीं. किताबों की डिलीवरी के लिए मतिया हाथ से मैप बनाया करते थे और इसमें कई घंटे लग जाते थे. अक्सर वो रोज़ मैप पर करीब 50 डिलीवरी पॉइंट के लिए रास्ते बनाते थे. उन्हें किताबें डिलीवर करने से ज़्यादा समय, मैप बनाने में लग रहा था. इसलिए, उन्हें अपने काम करने के तरीके को बदलने की ज़रूरत थी.
एक दिन अपनी सभी डिलीवरी शेड्यूल करने के बाद, मतिया ने Google Maps की मदद से डिलीवरी करने का फ़ैसला किया. उन्होंने Google Maps के ज़रिए अपने डिलीवरी पॉइंट पर साइकल से पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता खोजा. इससे पहले की तुलना में, उन्हें वक्त भी आधा लगा और वे किताबें भी ज़्यादा डिलीवर कर पाए. वे कहते हैं, “रोज़ की डिलीवरी के लिए Google Maps ने उनको सबसे ज़्यादा सहारा दिया”.
किताबों की डिलीवरी को और खास बनाने के लिए मतिया की गर्लफ़्रेंड गिदा ने दिलचस्प तरीका निकाला. गिदा, पेशे से शेफ़ हैं और वे कभी-कभी अपनी मशहूर डिश तिरामिसू बनाकर किताब के हर पैकेट के साथ लोगों को बतौर सरप्राइज़ भेजती रहती हैं.
मतिया के किताबों के पैकेट पूरे शहर में मशहूर हैं और लोग इन्हें पाकर काफ़ी खुश होते हैं. इसी वजह से, मतिया की देनिस कप्पादोनिया के साथ साझेदारी हो पाई. देनिस, LGBTQ+ से जुड़ी किताबों की दुकान, NORA Book & Coffee चलाती हैं. कारोबार में एक-दूसरे से मुकाबला करने के बजाय, उन्होंने एक साथ मिलकर काम करने का फ़ैसला किया. उनका मकसद था ज़्यादा से ज़्यादा ग्राहकों तक पहुंचना और एक-दूसरे की मदद करना.
लॉकडाउन की वजह से जब लोग घरों में कैद हो गए थे, तो बस किताबें ही थीं जिनका हाथ पकड़कर वे अपने शहर से बाहर निकल सकते थे और दुनिया के किसी भी कोने की सैर कर सकते थे.
देनिस कप्पादोनिया मालिक, NORA Book & Coffee
मतिया, गिदा, और नोरा आजकल नए-नए तरीके खोज रहे हैं, ताकि टूरिन में अपने समुदाय और किताबें बेचने वाले छोटे-छोटे दुकानदारों की मदद की जा सके. यह रास्ता इन लोगों को चाहे जहां ले जाए, लेकिन इतना तो पक्का है कि सफलता की राह पर उनका सफ़र शुरू हो चुका है.