मशीन लर्निंग की मदद से मधुमक्खियों को बचाने वाली टीम
कटरिना श्मिथ बताती हैं कि जबसे उन्होंने होश संभाला है, मधुमक्खियां हमेशा उनके परिवार का हिस्सा रही हैं. वह बताती हैं, "मैंने एक बार अपने दादा जी से पूछा था कि 'मधुमक्खियां हमारे परिवार का हिस्सा कब से हैं?' उन्होंने कहा, 'तकरीबन 1894 से.' इसी साल श्मिथ के पिता का जन्म हुआ था." उन्हें आज भी याद है कि उनके दादा जी के घर के बगल में मधुमक्खियों को पालने के लिए जगह बनी थी. हालांकि, 1990 के दौरान वहां से मधुमक्खियां गायब हो गईं. वे सभी मधुमक्खियां मर गई थीं.
मधुमक्खियों को लेकर कटरिना की दिलचस्पी तीन साल पहले फिर से जगी, जब उन्होंने दुनिया भर में मधुमक्खियों के विलुप्त होने की समस्या के बारे में पढ़ा. उन्होंने खुद मधुमक्खियों के छत्तों पर काम शुरू किया. साथ ही, मधुमक्खियां पालने वाले दूसरे लोगों की बाज़ार में शहद बेचने में मदद करनी शुरू की. हालांकि, उन्हें जल्द ही समस्या की जड़ का पता चल गया. “मधुमक्खियों की कमी असल समस्या नहीं है. समस्या यह है कि दुनिया भर में मधुमक्खियां और दूसरे कीडे़ भारी संख्या में मर रहे हैं और हमें इसकी वजह नहीं पता. और यही बात मुझे परेशान कर रही थी.”
डेढ़ साल पहले कटरिना अपने दोस्तों के साथ बैठकर मधुमक्खियों को बचाने के तरीके के बारे में बातचीत कर रही थीं. इसके कुछ समय बाद उनकी कंपनी apic.ai की शुरुआत हुई. डेटा इकट्ठा करने के लिए, टीम ने TensorFlow (Google का ओपन सोर्स मशीन लर्निंग फ़्रेमवर्क) का इस्तेमाल करके छत्ते पर लगे कैमरे वाला मॉनिटर बनाया. कैमरे वाला यह मॉनिटर पूरे हफ़्ते, 24 घंटे फ़ुटेज रिकॉर्ड करता है. यह मॉनिटर कई चीज़ों को ट्रैक करता है, जैसे कि हर दिन छत्ते में कितनी मधुमक्खियां वापस आती हैं. साथ ही, वे कैसे काम करती हैं और वे पराग कण साथ लेकर आती हैं या नहीं. इस डेटा को विशेषज्ञों के साथ शेयर किया जाता है, ताकि वे कुछ चीज़ों के लिए बेहतर फ़ैसले ले सकें, जैसे कि पेड़ और फूल कहां उगाने हैं.
कटरिना के मुताबिक, ज़्यादा जानकारी से बेहतर विकल्प मिलते हैं. "बेहतर फ़ैसले लेने में कानून बनाने वालों की मदद करने के लिए डेटा उपलब्ध कराना हमारा मकसद है. अगर आप उन्हें डेटा दिखाते हैं और उनकी कार्रवाइयों के नतीजों के बारे में बताते हैं, तो आप उनकी सोच बदल सकते हैं. इससे दुनिया में बदलाव आ सकता है.
“मुझे उम्मीद है कि ऐसा ही होगा.”