आपातकालीन सहायता
कैसे आपका स्मार्टफ़ोन आपातकालीन स्थिति में आपकी जान बचा सकता है
Google, आपातकाल के समय मदद करने वाली सेवाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है. इसमें सबसे पहले मदद करने वालों के लिए जगह की जानकारी वाली टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाया जा रहा है
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क्रिस्चन स्टेनर एक हेलिकॉप्टर पायलट हैं जो ऑस्ट्रिया के निचले इलाकों में मौजूद आल्प्स में राहत पहुंचाने का काम करते हैं. यह इलाका उतना ही खतरनाक है जितना यह खूबसूरत है. यह इलाका यात्रियों, पैराग्लाइड करने, और स्की करने वालों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है. इसलिए, यहां दुर्घटनाएं होना आम हैं. क्रिस्चन की परेशानी तब बढ़ी, जब वह दूर तक फैले आल्प्स में एक राहत मिशन के लिए निकले. वह अक्सर यह पता ही नहीं कर पाते थे कि उन्हे कहां तलाश करनी हैं.
कई सालों तक वह जगह की जानकारी वाली पुरानी टेक्नोलॉजी पर भरोसा करते रहे. यह टेक्नोलॉजी कॉल करने वाले व्यक्ति की मौजूदा जगह का अनुमान उसके सबसे नज़दीकी सेल टावर से लगाती थी. यह अनुमान 100 मीटर से 20 किलोमीटर तक के दायरे में होता था. इसका मतलब है कि वह तलाश करने के लिए पहाड़ की किसी गलत चोटी या फिर गलत पहाड़ पर जा सकते थे.
हालांकि, इस समस्या का सामना क्रिस्चन जैसे हेलिकॉप्टर पायलट को ही नहीं करना पड़ता. कई सालों से आपातकाल के समय लोगों को तलाशने के काम में समस्या आ रही है और यह समस्या मोबाइल फ़ोन के आने से बढ़ गई है. आपातकालीन स्थिति में लैंडलाइन से किए जाने वाले कॉल, इलाके की सटीक जानकारी देते हैं, लेकिन मोबाइल फ़ोन से कहीं से भी कॉल किए जा सकते हैं.
कॉल करने वाले अक्सर तनाव में और गुमराह रहते हैं. इसलिए, अपनी जगह की सटीक जानकारी नहीं दे पाते. ऐसे में उन्हें ढूंढने में लगने वाला ज़्यादा समय खतरनाक हो सकता है. यहां तक कि इसके घातक नतीजे भी हो सकते हैं.
Google की इंजीनियर, मरिया गार्सिआ पुयोल कहती हैं, "मुझे हमेशा लगता था कि आपातकाल के समय मदद करने वाले लोगों के पास जगह की जानकारी का पता लगाने की बेहतरीन टेक्नोलॉजी होती है." मरिया Android की जगह की जानकारी सेवा के लिए काम करती हैं. Android, Google का बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है. यह एक ओपन सोर्स प्लैटफ़ॉर्म है जिस पर दुनिया भर में 1,300 ब्रैंड के 250 करोड़ से ज़्यादा डिवाइस काम करते हैं. यह पक्का करता है कि फ़ोन पर Google Maps इस्तेमाल करते समय नीला बिंदु जगह की सटीक जानकारी दे. मरिया को बाद में समझ आया कि आपातकालीन सेवाओं में जगह की जानकारी उतनी आसानी से उपलब्ध नहीं होती जितनी टैक्सी या खाना डिलीवर करने वाली कंपनियों के लिए होती है. उन्होंने इस समस्या का हल निकालने का फ़ैसला लिया.
मरिया के इस प्रोजेक्ट में Google के दूसरे इंजीनियरों ने भी साथ दिया. इनके अलावा, मरिया को इस काम में यूरोपियन इमरजेंसी नंबर एसोसिएशन (ईईएनए) नाम की संस्था का भी साथ मिला. ईईएनए करीब 10 सालों से आपातकाल सेवाओं के लिए जगह की जानकारी से जुड़ी बेहतर टेक्नोलॉजी ढूंढने के क्षेत्र में काम कर रही है. यह संस्था पूरे यूरोप में राहत पहुंचाने का काम करती है. इसलिए, इस क्षेत्र के करीब सभी लोगों के साथ इनकी अच्छी जान-पहचान थी.
ईईएनए में सार्वजनिक मामले संभालने वाले बेनोइट विविएर कहते हैं, "मैं लोगों की जान बचाने में योगदान दे पाता हूं. यही बात मुझे सुबह उठकर ऑफ़िस जाने की प्रेरणा देती है." कई देशों में, आपातकाल के समय जान बचाने के लिए सटीक जगह पता करने के क्षेत्र में सुधार हुए हैं. हालांकि, ये बदलाव धीरे-धीरे हो रहे हैं और इनका असर सीमित जगहों पर हो रहा है. जैसे ही ईईएनए और Google को पता चला कि वे दोनों एक ही समस्या पर अलग-अलग काम कर रहे हैं, उन्होंने फ़ैसला किया कि वे साथ मिलकर काम करेंगे.
कुछ महीने बाद Android ने, मुसीबत के समय जगह बताने वाली सेवा (ईएलएस) लॉन्च की. इसे 99% से ज़्यादा Android फ़ोन पर उपलब्ध कराया गया. सेल टावर ट्रायंगुलेशन, असिस्टेड जीपीएस, और वाई-फ़ाई जैसी सेवाओं से मिलने वाली जानकारी का इस्तेमाल करके, यह टेक्नोलॉजी पिछले सिस्टम के मुकाबले जगह की 3,000 गुना तक ज़्यादा सटीक जानकारी देती है. ऐसा यह दुनिया भर के ज़्यादातर देशों में कर पाती है1. जब भी कोई व्यक्ति Android फ़ोन से ऐसे देश में आपातकालीन कॉल करता है जहां ईएलएस सेवा चालू है, तो आपातकालीन सेवाओं को उस व्यक्ति की जगह के कोऑर्डिनेट अपने आप भेज दिए जाते हैं. ईएलएस की मदद से मिलने वाली जगह की जानकारी फ़ोन से, सीधे मदद करने वाले को भेजी जाती है.
ईएलएस की मदद से खोज का दायरा
12 मी.
6 मी.
ईएलएस के बिना खोज का दायरा
900 मी.
14 कि.मी.
ईएलएस के आने से पहले, कई मदद करने वाले आपातकालीन कॉल की जगह की पहचान नज़दीकी सेल फ़ोन टावर के हिसाब से करते थे. इसमें खोज का दायरा 20 किलोमीटर तक हो सकता था.
पहला उदाहरण
दूसरा उदाहरण
आज भी मरिया को ईएलएस से मदद पहुंचाने की पहली कहानी याद है. जनवरी 2017 में, लिथुआनिया में रहने वाले एक सात साल के लड़के ने देखा कि उसके पिता को दौरा पड़ा है और वह कमरे में गिर गए हैं. उस लड़के का नाम नॉजूह था. घबराकर नॉजूह ने अपने पिता का फ़ोन लिया और आपातकालीन सेवा पर कॉल किया. उसे अपने घर का पता नहीं मालूम था. साथ ही, नज़दीकी सेल टावर की मदद से उसे खोजने के दायरे को कम करके 14 किलोमीटर तक ही किया जा सकता था. अच्छी बात यह हुई कि इस घटना से तीन महीने पहले ही लिथुआनिया में ईएलएस को चालू किया गया था. आपातकालीन सेवा देने वाली कंपनी को छह मीटर के दायरे में ही नॉजूह की जगह की जानकारी मिल गई2. जल्द ही ऐम्बुलेंस आ गई और नॉजूह के पिता को इलाज के लिए नज़दीकी अस्पताल पहुंचाया गया
आज ईएलएस पांच से ज़्यादा देशों और पांच महाद्वीप में काम कर रही है.यह हर दिन 20 लाख आपातकालीन कॉल करने वालों की जगह की जानकारी उपलब्ध कराने में मदद कर रही है3. जैसे-जैसे पूरी दुनिया ईएलएस के लोगों तक मदद पहुंचा रही है, वैसे-वैसे ईईएनए और Google अपने काम का दायरा बढ़ा रहे हैं. साथ ही, टेक्नोलॉजी को भी बेहतर बना रहे हैं. मरिया कहती हैं, "हम नहीं चाहते कि समय पर मदद न मिलने की वजह से किसी की जान जाए."
जहां तक क्रिस्चन की बात है, तो उनका काम हमेशा जोखिम भरा रहेगा. हालांकि, उन्हें इस बात से राहत मिलेगी कि नई टेक्नोलॉजी से उनका और जिन्हें वह बचा रहे हैं, दोनों का समय बचेगा. उनका कहना है, "मेरे काम की सबसे बड़ी प्रेरणा है लोगों की मदद करना, चाहे वे किसी भी समस्या में फंसे हों. अगर मैं उनकी मदद कर सकता हूं, तो ज़रूर करूंगा.”
- 1 यूरोपीय संघ के Help112 प्रोजेक्ट की आखिरी रिपोर्ट, 2017
- 2 मौसम, नेटवर्क, ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल के लिए चुने गए पार्टनर, और भरोसे के लेवल वगैरह के हिसाब से ईएलएस का प्रदर्शन बदल सकता है.
- 3 Google के अंदरूनी डेटा के मुताबिक.