जानें कि कैसे यह पुरातत्व विशेषज्ञ (आर्किऑलजिस्ट) मिस्र की सांस्कृतिक विरासत को बचा रही हैं और दुनिया के सामने भी ला रही हैं.
कैसी भी दिक्कतें आएं, डॉ. मोनिका ने हमेशा अपनी राह खुद बनाई है. मिस्र में रहने वाली मोनिका ने छोटी उम्र में ही सोच लिया था कि वह बड़ी होकर आर्किऑलजिस्ट बनेंगी. उनकी मां ने भी उन्हें इस फ़ील्ड में जाने के लिए बढ़ावा दिया. हालांकि, वह जानती थीं कि इस क्षेत्र में ज़्यादातर पुरुषाें का दबदबा रहा है और अब भी हालात ऐसे ही हैं.
आज डॉ. हाना, न सिर्फ़ जानी-मानी आर्किऑलजिस्ट हैं, बल्कि एक मशहूर स्कॉलर भी हैं. दि अरब अकैडमी फ़ॉर साइंस, टेक्नोलॉजी ऐंड मैरीटाइम ट्रांसपोर्ट में, सांस्कृतिक धरोहर और पुरातत्व विभाग की फ़ाउंडिंग डीन, डॉ. हाना, अरब देशों की महिलाओं के साथ-साथ अपनी पांच साल की बेटी के लिए भी प्रेरणा हैं.
डॉ. हाना का मकसद हमेशा से मिस्र की विरासत को सुरक्षित रखना रहा है. पहले यह काम ज़्यादा मुश्किल था, क्योंकि उस समय हर जानकारी बहुत मुश्किल से मिलती थी. अपने करियर के शुरुआती दौर में, डॉ. हाना को कभी मिस्र के इतिहास के विषय की जानकारी इकट्ठा करने में दिक्कत आती तो कभी उस जानकारी को दूसरों से शेयर करने में. कभी-कभी तो ये दोनों ही काम उनके लिए काफ़ी मुश्किल भरे होते थे.
डॉ. हाना, काहिरा की भीड़ भरी सड़कों से होकर लाइब्रेरी जाती थीं. इसके बाद, वहां ढेर सारे काग़ज़ों के बीच, रिसर्च से जुड़े ऐसे दस्तावेज़ खाेजती थीं जो उनके काम आ सकें. हालांकि, अक्सर ऐसा होता था कि इतनी खोजबीन के बाद उन्हें पता चलता था कि ऐसा तो कोई दस्तावेज़ है ही नहीं या अगर है भी तो वह मिस्र की उस लाइब्रेरी में मौजूद नहीं है. ज़्यादातर दस्तावेज़ जो उन्होंने ढूंढे थे, वे अरबी के बजाय किसी और भाषा में होते थे. फिर भी, वह उनका इस्तेमाल करती थीं.
डॉ. हाना रेगिस्तान के बीच, सिर्फ़ काग़ज़ के एक मैप के सहारे, ऐसी जगहें ढूंढती थीं जहां खुदाई के बाद पुरातत्व के महत्व की चीज़ें मिल सकें. इसके लिए, वह कई किलोमीटर का सफ़र तय करती थीं. उस समय उनके पास उपग्रह से मिलने वाली तस्वीरों नहीं होती थीं. ऐसे में इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि जिसे वह ढूंढ रही हैं वह जगह अब मौजूद है भी या नहीं.
डॉ. हाना के लिए, Google के कई उत्पाद जैसे कि सर्च, Scholar, और Maps बेहद मददगार साबित हुए. ये उत्पाद, उनकी रिसर्च में काम आते हैं. साथ ही, अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए भी वह इन उत्पादों की मदद लेती हैं. Google Scholar से डॉ. हाना को अपनी रिसर्च के लिए जानकारी इकट्ठा करने में मदद मिलती है. वह इस प्लैटफ़ॉर्म से दुनिया भर के दूसरे विशेषज्ञों के साथ भी अपनी रिसर्च का काम शेयर करती हैं.
भले ही डॉ. हाना मिस्र में काम करती हैं, फिर भी वह दुनिया भर के लोगों से जुड़ी रहती हैं. साथ ही, रिसर्च समुदाय में अपना योगदान भी देती हैं. इसके अलावा, वह अपनी खोज सबके साथ मुफ़्त में शेयर करती हैं.
डॉ. हाना, मिस्र की विरासत को दुनिया तक पहुंचाने का काम कर रही हैं. साथ ही, वह दुनिया भर के लोगों को यहां आने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं. इसके अलावा, वह नई पीढ़ी के लाेगाें में, सांस्कृतिक इतिहास काे लेकर दिलचस्पी जगाने की काेशिश कर रही हैं. आप ऐसा कह सकते हैं कि मिस्र की विरासत को बचाते-बचाते, उन्होंने अपनी एक विरासत बना ली है.