पानी की महिलाएं
साफ़ पानी के लिए छह महिलाएं कैसे अपनी आवाज़ उठा रही हैं और तकनीक का इस्तेमाल करके कैसे पानी काे साफ़ करने की काेशिशें कर रही हैं
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सरकार वयस्कों को नहीं सुन रही थी, वयस्क सरकार की [नहीं सुन रहे थे], इसलिए मैंने सोचा कि वे मेरे जैसे बच्चों को सुनेंगे.
मारी कोपेनी
हम जानते थे कि हमारे स्कूलों का पानी अच्छा नहीं था, क्योंकि स्कूल वाले हर साल पानी में लेड (सीसा) की जाँच कराते थे. हम जानते थे कि यह एक मुद्दा था, जिसके लिए हम लड़ना चाहते थे.
इंडिया स्किनर
अगर लोग नहीं जानते कि अमेरिका में मिशिगन के फ़्लिंट की तुलना में 3,000 दूसरी जगहाें के पानी में ज़्यादा लेड (सीसा) है, तो आप क्या करेंगे?
डॉल अवांत
मुझे लगता है कि एक वैज्ञानिक होना, एक सुपरहीरो होने की तरह है, क्योंकि सुपरहीरो लोगों को बचाते हैं और अपने समाज के लिए सबसे अच्छा काम करना चाहते हैं-वैज्ञानिक भी यही काम करते हैं.
गीतांजलि राव
जब ज़ीका वायरस फैला, तो 13 साल की गीतांजलि राव ने जीन में बदलाव करने के ऐसे नए तरीके ढूंढने शुरू किए, जो बीमारी को फैलने से रोक सकें.
जब मलेशिया एयरलाइंस की फ़्लाइट 370 हिंद महासागर के ऊपर से गुज़रते हुए गायब हो गई, तब वह एक बेहतर ब्लैक बॉक्स फ़्लाइट रिकॉर्डर बनाने के बारे में सोचने लगीं.
और जब उन्हें पता चला कि उनके स्कूल के बच्चों को सोशल मीडिया पर धमकी दी जा रही है, तो उन्होंने इंटरनेट पर धमकी देने वाले मैसेज पहचानने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए एक ऐप्लिकेशन बनाया.
अगर राव को किसी समस्या के बारे में पता चलता, तो वह उसे हल करने की कोशिश करने लगतीं.
ज़्यादातर लोगों ने सोचा कि मैं एक 11 साल की बच्ची हूं, जिसके पास एक विज्ञान मेले में लगने वाले प्रॉजेक्ट जैसा अाम विचार है, लेकिन मुझे पता था कि अगर मेरी मशीन ठीक तरह से काम करेगी, तो मैं फ़्लिंट में रहने वाले बहुत सारे लाेगाें की मदद कर सकती हूं.
गीतांजलि राव
राओ एक साथ कई गतिविधियां करती रहती हैं – वह STEM Scouts of America के साथ प्रोजेक्ट कर रही हैं, रेडियो पर बच्चों के लिए विज्ञान से जुड़ा कार्यक्रम होस्ट करती हैं, नाटक लिखती हैं – लेकिन एक चीज़ जो इस बच्ची को दूसरों से अलग बनाती है, वह है दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना. "मुझे हमेशा से दूसरों की मदद करके खुशी मिली है. चाहे वह रात को बर्तन मांजना हो या अस्पताल में पियानो बजाना. मैं चाहती हूं कि दुनिया के लिए मैं जो भी करूं, उससे कई ज़िंदगियां बदल जाएं."
जब एक कार्यकर्ता ने मिशिगन के फ़्लिंट के जल संकट के बारे में दुनिया को बताया, तो राव ने Android तकनीक का इस्तेमाल करके एक ऐसे टूल का आविष्कार करने का साेचा, जो लाखों लोगों की मदद कर सकता था. उन्हें नहीं पता था कि वह एक बड़े अभियान का हिस्सा बनने जा रही हैं – ऐसा अभियान, जो एक युवा लड़की ने शुरू किया था और जिसका मकसद ऐसे लोगों को साथ लाना था, जो मदद कर सकते थे.
मिलिए उस रोशनी से जिसने पूरे देश को रोशन किया
एक साल पहले फ़्लिंट में एक रैली के दौरान आयोजक ने जेनेले मोना और स्टीवी वंडर के साथ मंच पर अमारीयन्ना "मारी" कोपेनी को बुलाया. लिटिल मिस फ़्लिंट को अपने शहर के प्रशंसकों से उत्साह मिला.
11 साल की कोपेनी को भीड़ पसंद है, लेकिन एक चीज़ जो इस लड़की को दूसरों से अलग बनाती है, वह है कर्तव्य की भावना. जब 2015 में वह लिटिल मिस फ़्लिंट का खिताब जीतीं, तब उन्होंने अपने खिताब की मदद से फ़्लिंट के बच्चों और पुलिस के बीच बातचीत शुरू करवाई.
जब मिशिगन शहर का पानी खराब हो गया – तब लंबे समय तक शावर लेने से कोपेनी की त्वचा में दर्द होने लगा और उनके छोटे भाई-बहनों को पानी से खरोंचें आने लगीं – उन्हें पता था कि कुछ करने की ज़रूरत है. खराब पानी पूरी म्युनिसिपेलिटी के घरों और इमारतों में लगे पाइप में से लोहे और लेड (सीसा) को निकाल रहा था. हालांकि, लोगों को यह बात नहीं पता थी. फ़्लिंट में कुछ समय के लिए गलत जानकारी और भ्रम का माहौल रहा – ऐसे में लिटिल मिस फ़्लिंट ने आवाज़ उठाई.
2016 की शुरुआत में, 'लिटिल मिस फ़्लिंट से मिलने एक नए दोस्त आए: खुद अमेरिका के राष्ट्रपति. जब वह फ़्लिंट की समस्याओं के बारे में हुए कॉन्ग्रेशनल हियरिंग में हिस्सा लेने के लिए वॉशिंगटन डी.सी. आई थीं, तब उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा को पत्र लिखकर उनसे मिलने का अनुरोध किया था. वहां मिलने के बजाय राष्ट्रपति फ़्लिंट आए, उनसे मिले और पूरे देश को शहर की समस्याओं के बारे में बताया.
मैं इस पानी से प्रभावित बच्चों में से एक हूं और फ़्लिंट में रहने वाले सभी बच्चों के लिए, मैं पानी के विरोध में मार्च करने और अावाज़ उठाने की अपनी पूरी कोशिश कर रही हूं.
मारी कोपेनी
अगले साल में लिटिल मिस फ़्लिंट Teen Vogue, Time for Kids और रैली में नज़र आएंगी. उन्हें हमेशा फ़्लिंट के बच्चों के लिए काम करते हुए देखा जा सकता है – चाहे वह Black Panther फ़िल्म की टिकट के लिए पैसे इकठ्ठा कर रही हों या स्कूल के लिए चीज़ें दान करवा रही हों, जिससे परिवार अपने घरों के लिए फ़िल्टर खरीद पाएं.
"कोपनी कहती हैं कि मैं अब पेजेंट में हिस्सा नहीं लेती. अब मैं लोगों के लिए आवाज़ उठाती हूं."
जैसे-जैसे लिटिल मिस फ़्लिंट का संदेश पूरे देश भर में पहुंचा, लोग लंबे समय के लिए समस्या दूर करने के हल खोजने लगे…इनमें तीन युवा इंजीनियर भी शामिल थे, जो नासा की तकनीक से प्रेरित होकर पानी का ऐसा फ़िल्टर बना रहे थे जिसमें पानी साफ़ होता हुआ दिखाई दे.
पानी से लेड (सीसा) को निकालने के लिए वॉशिंगटन डी.सी. का एस3 ट्रायो नासा के साथ काम करेगा
पुराने दोस्तों, मिकाला शरीफ़, इंडिया स्किनर और ब्रिया स्नेल के सामने यह सवाल नहीं था कि उन्हें हाई स्कूल पास करने के लिए 270 घंटों की समुदाय सेवा कहां करनी थी: द इन्क्लूसिव इनोवेशन इन्क्यूबेटर (In3). यह जगह डी.सी. में आने वाले समय में कारोबारी बनने वाले लोगों को सॉफ़्ट स्किल सिखाने और नेटवर्क बढ़ाने के लिए बनाई गई थी. इस काम के लिए In3 बिलकुल सही जगह थी.
जब In3 में लड़कियों की सलाहकार, मारिसा जेंनिंग ने उनसे नासा की प्रतियोगिता – Optimus Prime Spinoff Promotion and Research Challenge (OPSPARC) में हिस्सा लेने के लिए कहा – तो अब हाई स्कूल में सीनियर क्लास में पढ़ रही लड़कियां नासा की पहले से मौजूद तकनीक का "स्पिनऑफ़" बनाने के लिए उत्साहित थीं.
लड़कियां पानी के क्षेत्र में ही कुछ करना चाहती थीं. उनके स्कूल में लगे फ़व्वारों को हाल ही में प्लास्टिक की थैलियों से ढंक दिया गया था, क्योंकि इससे स्कूल में आ रहा पानी प्रदूषित हो रहा था. फ़्लिंट और पास के बॉल्टीमोर स्कूल बोतलबंद पानी बाँट रहे थे. ऐसे में बंद किए गए फ़व्वारे ज़्यादा बड़ी समस्या थे.
नासा के अपोलो प्रोग्राम में इस्तेमाल हुई पानी फ़िल्टर करने की तकनीक से प्रेरित होते हुए लड़कियों ने सोचा कि एक ओर, अंतरिक्ष यात्री रीसाइकिल किया गया मूत्र पीकर भी अपने शरीर की नमी बनाए रखते हैं. वहीं, दूसरी ओर स्कूल के फ़व्वारे भी ज़हरीले चीज़ों से सुरक्षित नहीं हैं.
"हम जानते हैं कि पानी के लिए कई फ़िल्टर माैजूद हैं, फिर क्याें हम अब भी गंदा पानी पी रहे हैं?"
इंडिया स्किनर
लड़कियों ने एक ऐसे पारदर्शी डिज़ाइन की कल्पना की, जिसके ज़रिए फ़िल्टर करने की प्रक्रिया को दिखाया जा सके. पानी की क्वालिटी को लेकर जानकारी साफ़ नहीं है – फिर भी, अमेरिका में 3,000 जगहें ऐसी हैं, जहां पीने के पानी में लेड (सीसा) की मात्रा फ़्लिंट के पानी से ज़्यादा है, लेकिन इन जगहों पर ठीक तरह से जाँच नहीं हुई है – फ़िल्टर को काम करते देखना बहुत ज़रूरी था. स्किनर कहती हैं, “साफ़ पानी पाना समुदायों का हक है." "इसलिए, हमने ऐसा फ़िल्टर बनाने का फ़ैसला लिया, जिसमें…पानी फ़िल्टर होता हुआ दिखाई दे."
इनके प्रोटोटाइप में एक छोटे पंखे का इस्तेमाल होता है, जो विषैले पदार्थों को फ़िल्टर में धकेल देता है. यह दिखाने के लिए कि पानी साफ़ है, एक साफ़ टेस्ट ट्यूब में पीएच स्ट्रिप के ज़रिए दिखाया जाता है कि पानी की पीएच संख्या सही है.
अपने आपको 'द S3 ट्रायो' नाम से बुलाने वाली लड़कियों ने दूसरा स्थान जीता और उन्हें उनका इनाम नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर में मिला. यहां वे अपने प्रोजेक्ट को आगे डेवलप करने के लिए नेशनल सोसाइटी ऑफ़ ब्लैक इंजिनीयर्स के सदस्यों से मिलीं. हालांकि, लड़कियों के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह होगी कि वे दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें.
हमारे समुदाय के लोग जो एसटीईएम में दिलचस्पी रखते थे, वे हमें देखेंगे. हम बस अाम हाईस्कूल बच्चों की तरह दिखते हैं.
मिकेला शेरिफ़
लिटिल मिस फ़्लिंट उनके लिए आवाज़ उठा रही थीं, जो खुद के लिए आवाज़ नहीं उठा सकते थे. ऐसे में एस3 ट्रायो को आवाज़ उठाने की प्रेरणा मिली. कोलोराडो में युवा लड़की के लिए आवाज़ उठाने का मतलब है, 3-डी प्रिंटर, Android सॉफ़्टवेयर और "बकीपेपर" के ज़रिए लोगों को उनके नलों के पानी की जाँच करने में मदद करना.
एक लड़की, जो साबित कर रही है कि कोई परेशानी बड़ी नहीं होती
जब गीतांजलि राव ने फ़्लिंट के जल संकट को दूर करने के बारे में सोचना शुरू किया, तो उन्हें लगा कि उन्हें सिर्फ़ ऐसा तरीका ढूंढने की ज़रूरत है जिसके ज़रिए पानी से लेड (सीसा) निकाला जा सके. वह कहती हैं, "यह सिर्फ़ एक समाधान के ज़रिए ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या दूर करने जैसा था, जो मुमकिन नहीं लग रहा था."
फ़्लिंट की समस्या के बारे में सुनकर कई परिवारों की तरह राव के परिवार ने अपने पानी की जाँच की. राव को यह देखकर हैरानी हुई कि जाँच करने की प्रक्रिया बहुत मुश्किल थी. न सिर्फ़ जाँच महंगी थी, बल्कि इसमें दो हफ़्ते भी लगते थे. राव के लिए फ़्लिंट की समस्या का सबसे खतरनाक हिस्सा यह था कि लोगों को पता ही नहीं था कि पानी सुरक्षित है या नहीं. राव को एहसास हुआ कि पानी की जाँच कर पाने से लोग सशक्त (ताकतवर) महसूस कर सकते हैं.
राव, कई बार मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के मैटेरियल साइंस के वेबपेज को पढ़ा करती थीं. इसी दौरान, फ़्लिंट के बारे में सोचते हुए उन्हें एक खयाल आया.
मुझे एक ऐसी नई तकनीक के बारे में पता चला, जिससे हवा में खतरनाक गैसों का पता लगाने के लिए कार्बन नैनोट्यूब सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है. मैंने तुरंत सोचा कि पीने के पानी में लेड (सीसा) का पता लगाने के लिए...भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
गीतांजलि राव
कार्बन नैनोट्यूब के "बकीपेपर" नाम के एक वर्शन का इस्तेमाल करके राव को लगा कि उन्हें पानी की जाँच करने वाली स्ट्रिप बनाने के लिए सही सामग्री मिल गई थी – कम से कम सिद्धांत के हिसाब से तो ऐसा कहा जा सकता था. यह बहुत रोमांचक था कि उन्होंने कुछ ऐसा खोज लिया, जो पहले किसी ने नहीं किया था. हालांकि, अभी उन्हें जाँच करने के लिए डिवाइस बनाना था – अभी बहुत सारा काम किया जाना बाकी था.
डेनवर में म्युनिसिपल पानी पहुंचाने वाली जगह का दौरा करते हुए राव, वहां की लैब मैनेजर सलेने हर्नांडेज़ रुइज़ से मिली. रुइज़ इस लड़की से बहुत खुश हुईं, क्योंकि यह लड़की हाइड्रोलॉजी को पीएचडी के छात्र जितना समझती थीं. रुइज़ ने जितना सुना, उतना उन्हें एहसास हुआ कि वह न सिर्फ़ एक बेहतरीन आइडिया के बारे में सुन रही हैं, बल्कि एक बहुत खास इंसान से भी मिल रही हैं. रुइज़ कहती हैं, "गीतांजलि…दोस्ती करने और विज्ञान से जुड़ी चीज़ों के बारे में बताने में किसी वयस्क जैसी हैं." कुछ ही समय में वह राव के साथ उनके डिवाइस की जाँच करने में मदद करने लगीं. इस डिवाइस को वह टेथिस कहती हैं.
जब उन्होंने मुझे काम करने के लिए लैब की जगह दी, तब मैंने शांत और सुकून भरा बर्ताव किया. लेकिन जब मैं घर आई, ताे मैंने खुशी से चिल्लाना शुरू कर दिया. ईमानदारी से कहूं, तो यह दिन मेरी ज़िंदगी के सबसे अच्छे दिनों में से एक था.
गीतांजलि राव
राओ और रुइज़ ने साथ काम करना शुरू किया. इससे उनके बीच एक ऐसा रिश्ता बन गया, जिसने टेथिस को और बेहतर बनाया. हाल ही में हुई पानी की जाँच से दूसरे धातुओं के बारे में नतीजे मिले. इसलिए, यह हो सकता है कि एक डिवाइस नल के पानी में मरक्यूरी, आर्सेनिक और कैडमियम की जाँच कर सके. राव एक ऐसा टूल ईजाद कर सकती थीं, जो पानी की पूरी जाँच को कम कीमत पर ज़्यादा सटीक तरीके से कर सके.
रुइज़ का मानना है कि राव की आधुनिक तकनीक की समझ और बिना डरे चीज़ों को जानने की इच्छा से हमें चीज़ें करने की प्रेरणा मिलती है.
राव के लिए, फ़्लिंट के मामले में जागरूकता फैलाना सिर्फ़ पहला कदम है. वह कहती है, "मेरा मानना है कि लेड (सीसा) की पहचान करने वाला यह डिवाइस इस समस्या के लिए आगे के कदम उठाने के लिए हमें प्रेरित करे." उनके लिए अगला कदम बिलकुल साफ़ है: टेथीस और दूसरे स्रोतों से डेटा इकट्ठा करके उन्हें एक डेटाबेस में रखना.
यह खुशकिस्मती है कि एक महिला ने इस तरह का डेटाबेस बना लिया है.
बिग डेटा की मदद से हम फ़्लिंट जैसी स्थिति से बच सकते हैं
पानी की क्वालिटी के क्षेत्र में कारोबार के रास्ते खोजते हुए डॉल अवंत को पता चला कि उनके पिता को डायबिटीज़ है, यह उनके लिए झटका था – उनके पिता एक स्वस्थ जीवनशैली जीते थे और अभी कुछ ही समय पहले रिटायर हुए थे. उन्होंने पानी की रिसर्च के क्षेत्र में काम किया था – इसमें नासा रिसर्च पार्क में फ़ेलोशिप भी शामिल थी – वह एक सफ़ल सलाहकार थीं और इसलिए वह सोच में पड़ गईं कि कहीं उनके पिता की तबियत पानी में कुछ होने की वजह से तो खराब नहीं हुई है.
जैसे-जैसे उनके पिता की हालत खराब हुई, उन्हें ऐसा अध्ययन मिला, जो ठीक से समझ नहीं आ रहा था, लेकिन उनके हिसाब से आर्सेनिक और डायबिटीज़ में संबंध था. उनकी तबियत खराब होने की वजह पानी हो सकता है. वह कहती है, "मुझे पानी की क्वालिटी की स्थानीय जाँच की रिपोर्ट पाने और सभी वजहों को एक सूत्र में बांधने में ज़्यादा समय नहीं लगा. “लेकिन इस समय तक मेरे पिता जी की तबियत काफ़ी बिगड़ चुकी थी और उनके लिए कुछ भी किए जाने के लिए बहुत देर हो चुकी थी.”
उन्होंने अपनी रिसर्च, फ़्लिंट जैसे हालातों को रोकने के लिए की थी. लेकिन, अब उनके लिए यह समस्या निजी बन चुकी थी.
पिता की मौत ने अवंत को हर उस जानकारी की तह तक जाने के लिए प्रेरित किया, जो वह पा सकती थीं – ईपीए रिपोर्ट, खबरें और वैज्ञानिक अध्ययन. जो उन्हें पता चला, वह चौंकाने वाला था: अमेरिका में ऐसे हज़ारों समुदाय थे, जहां पानी में लेड (सीसा) की मात्रा फ़्लिंट से ज़्यादा थी. ईपीए के उल्लंघन के ऐसे आंकड़े, जो कहीं दर्ज नहीं किए गए थे. हज़ारों कार्सिनोजेन जिनके बारे में जानकारी थी, लेकिन वे ईपीए का उल्लंघन कर रहे थे.
अवंत को अंदाज़ा हुआ कि ऐसे लाखों लोग हैं, जिन्हें पता भी नहीं है कि वे पानी में मिली ज़हरीली चीज़ों को लंबे समय तक लेने की वजह से खतरे में हैं. वह कहती हैं, “सिर्फ़ इसलिए कि उन लोगों के पास डेटा नहीं है, वे सावधानी नहीं बरतते.” इसलिए, उन्होंने Aquagenuity नाम की एक कंपनी शुरू की, जिसके ज़रिए पानी से जुड़ा दुनिया का सबसे बड़ा डेटाबेस बनाया जा सके.
हमें इसके लिए वैसी ही काेशिशें करनी चाहिए, जैसी कोशिशें हम पैसे के लिए करते हैं. पैसा एक सीमित अाैर कीमती चीज़ है, इसलिए आपके पास इसे प्रबंधित करने के लिए कई सारे ज़रूरी टूल हैं. हमें पानी के प्रबंधन के लिए भी ऐसे ही ज़रूरी टूल की ज़रूरत है.
डॉल अवांत
आधी-अधूरी रिपोर्ट के डेटा को जारी करने के अलावा Aquagenuity का मकसद है कि लोगों को खराब पानी की पहचान करने के बारे दिशा-निर्देश दिए जाएं.
अवंत कहते हैं, “आप किस जगह अाैर कितने समय वहां रहे थे, इस हिसाब से आप अपने पुराने पते डालते हैं.” “और यह सिस्टम आपको बताता है कि – कुछ धातुओं और दूसरी चीज़ों को साफ़ करने के लिए आप ये चीज़ें कर सकते हैं.”
यह सुविधा दो ज़रूरी चीज़ों की मदद से कारगर साबित हो पाएगी. पहला, Google क्लाउड, जिसमें जानकारी को सुरक्षित रखा जाएगा और दूसरी, मशीन लर्निंग, जिसके ज़रिए लोगों को उनके हिसाब से स्वास्थ्य और सेहत की जानकारी दी जाएगी.
"You put in all your past addresses based on where you lived and how long you lived there. And the system actually tells you, Hey, these are things that you can do to detoxify - certain metals and different things that are built up in your system."
Doll Avant
Aquagenuity कारोबारों और सरकार की मदद करने की योजना भी बना रही है. पानी की बोतलें तैयार करने वाली कंपनी तुरंत जान पाएगी कि किन फ़िल्टर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए या स्थानीय सरकार यह पता लगा पाएगी कि निर्माण के किसी खास काम के लिए बैक-एंड में फ़िल्टर करने की किस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अवंत कहती हैं, "हम मशीन को ऐसे सुझाव तुरंत देने का तरीका सिखा रहे हैं. Google Cloud पर बने मशीन लर्निंग के फ़्रेमवर्क से हमें इस काम को तेज़ी से करने में मदद मिलेगी."
20वीं शताब्दी इस ग्रह पर रहने के लिए वास्तव में मुश्किल भरी थी. तो हम एक संसाधन के रूप में पानी का इस्तेमाल करने के बारे में दाेबारा साेचें और 21वीं शताब्दी में बेहतर तरीके से पानी का इस्तेमाल करें.
डॉल अवांत