उस व्यक्ति से मिलिए जो एआई (AI) का इस्तेमाल करके, अफ़्रीका की हवा को साफ़ करने में लगा है
युगांडा की राजधानी कंपाला जैसे बड़े और घनी आबादी वाले शहर में, मोटरसाइकल टैक्सी के पीछे लगे छोटे से काले बॉक्स को ठीक करते हुए इंजीनियर बाइनॉमगिशा कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि हर कोई साफ़ हवा में सांस ले." पहली नज़र में यह एक मामूली बॉक्स लग सकता है, लेकिन इस डिवाइस से कंपाला की सड़कों पर फैले खतरनाक प्रदूषण को कम किया जा रहा है. इस टेक्नोलॉजी के साथ एआई (AI) का इस्तेमाल किया जाता है. इससे हवा की क्वालिटी सुधरने के साथ-साथ युगांडा के लाखों लोगों की ज़िंदगी बेहतर बन सकती है.
बाइनॉमगिशा की परवरिश युगांडा के एक गांव में हुई थी. जब वह कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करने के लिए, घर से 300 किमी दूर राजधानी कंपाला में स्थित, मेकरेर यूनिवर्सिटी पहुंचे, तब उन्हें कंपाला की प्रदूषण की समस्या के बारे में पहली बार पता चला. टेक्नोलॉजी में काफ़ी दिलचस्पी होने की वजह से, वह अक्सर सुबह जल्दी उठकर यूनिवर्सिटी की लैब के गिने-चुने कंप्यूटरों में से एक पर सॉफ़्टवेयर बनाने की कोशिश करते थे. उन्हें क्या पता था कि वह जो सीख रहे हैं उसका इस्तेमाल एक दिन, कंपाला और कंपाला से बाहर भी लोगों को प्रदूषण से बचाने में कर सकेंगे.
इंजीनियर बाइनॉमगिशा अब उसी यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस विभाग के हेड हैं. साथ ही, वह AirQo जैसे अहम प्रोजेक्ट को लीड करते हैं. इस प्रोजेक्ट में इंसानी सूझ-बूझ को, एआई (AI) मॉडल और हवा को मॉनिटर करने वाली टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ा गया है. इस टेक्नोलॉजी से लैस बॉक्स की मदद से, कंपाला में प्रदूषण के पैटर्न का अनुमान लगाया जाता है.
इस काम के लिए खास तौर पर छात्रों की टीम बनाई गई है. बाइनॉमगिशा इस टीम के साथ मिलकर, इमारतों की छतों पर और मोटरसाइकल टैक्सी के पीछे ऐसे एयर सेंसर इंस्टॉल करते हैं जिनसे शहर के वायु प्रदूषण का डेटा इकट्ठा किया जाता है. इन मोटरसाइकल टैक्सी को बोडा बोडा के नाम से जाना जाता है. शहर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए, इनका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है. डेटा इकट्ठा करने के बाद, यह टीम क्लाउड-आधारित एआई (AI) सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके, रीयल टाइम में हवा में मौजूद कणों के डेटा का विश्लेषण करती है और स्थानीय प्रदूषण कैसा रहेगा यह अनुमान लगाती है. ये अनुमान, कंपाला के लोगों को दूषित हवा में सांस लेने से बचाने में मदद करते हैं. साथ ही, सरकारी एजेंसियां हवा की क्वालिटी में ज़मीनी स्तर पर सुधार लाने के लिए, इन अनुमानों का इस्तेमाल करती हैं.
इंजीनियर बाइनॉमगिशा और मेकरेर यूनिवर्सिटी की टीम को, Google AI इंपैक्ट चैलेंज के तहत अनुदान के लिए चुना गया है. इस अनुदान के लिए 2,600 से ज़्यादा आवेदन आए थे. इनमें से चुने गए 20 संगठनों में से एक, बाइनॉमगिशा और उनकी टीम है: Google.org की इस पहल से उन गैर-लाभकारी संस्थाओं, स्टार्टअप, और रिसर्च करने वाले लोगों की मदद की जाती है जो एआई (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके, समाज और पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को दूर करने की कोशिश करते हैं. इस कार्यक्रम के ज़रिए, मेकरेर यूनिवर्सिटी की टीम नौ महीने के एआई (AI) ऐक्सेलरेटर कोर्स में शामिल हुई. इस दौरान, Google और DeepMind AI के विशेषज्ञों ने इन्हें कोचिंग दी और काम करने का तरीका सिखाया.
फ़िलहाल, एयर सेंसर के साथ ये बोडा बोडा (मोटरसाइकल टैक्सी) कंपाला की सड़कों पर चक्कर लगा रही हैं. इंजीनियर बाइनॉमगिशा को उम्मीद है कि एक दिन, इस टेक्नोलॉजी से पूरे अफ़्रीका की सड़कों पर प्रदूषण कम हो जाएगा. इससे, आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि ताज़ा हवा में सांस लेने का क्या आनंद है.