दाे मिनट में पढ़ें
उनसे मिलिए, जो Google मैप का इस्तेमाल करके डिमेंशिया के मरीज़ों की मदद कर रही हैं
2007 में, Google ने दुनिया का मैप बनाने के लिए कैमरा लगी गाड़ियों के अपने पहले जत्थे को रवाना किया था. किसे पता था कि एक दशक बाद, कोई शोधकर्ता चीज़ें याद रखने में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए सड़क दृश्य की तकनीक का उपयोग करेगी. लेकिन बायोमेकैनिकल इंजीनियर ऐन क्रिस्टीन हर्ट्ज़ यही कर रही हैं.
तकनीक और याददाश्त
ऐन-क्रिस्टीन अल्ज़ाइमर्स और डिमेंशिया के मरीज़ों के लिए, इलाज के नए तरीके ढूंढ रही थीं. उनका खास ज़ोर इस बात पर था कि वे पुरानी यादों को बचाए रखने में लोगों की मदद कर सकें. याददाश्त चले जाना डिमेंशिया का सबसे तकलीफ़देह पहलू है, जिसका खामियाज़ा मरीज़ के साथ-साथ उनके अपनों को भी भुगतना पड़ता है.
इससे निपटने के लिए, उन्होंने BikeAround का एक प्रोटोटाइप बनाया, जिसमें एक स्टेशनरी साइकिल (जिम वाली साइकिल) को Google स्ट्रीट व्यू (सड़क दिखाने वाली तकनीक) के साथ जोड़ा गया, ताकि इसके ज़रिए डिमेंशिया के मरीज़ों को आभासी (वर्चुअल) तरीके से उनकी यादों में वापस ले जाया जा सके. मरीज़ इसमें ऐसी जगह का पता डालते हैं जो उनके लिए मायने रखती है - जैसे बचपन का घर - और फिर इसमें लगे पैडल और हैंडल का इस्तेमाल करके अपने पुराने गली-मोहल्लों की “साइकिल पर सैर” करते हैं.
क्यों न एक पुराने फ़ोटो एल्बम के पन्ने पलटे जाएं?
हमारी सबसे गहरी यादें, जगहों से जुड़ी होती हैं. यह कोई इत्तेफ़ाक नहीं है कि जब आप किसी खास चीज़ को याद करते हैं या किसी पुरानी घटना के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर आपके दिमाग में आने वाला पहला सवाल होता है कि “जब ऐसा हुआ तो मैं कहां था या कहां थी?” BikeAround इसी आइडिया पर काम करता है. इसके ज़रिए मरीज़ों को उनकी जानी-पहचानी जगहें दिखाई जाती हैं, जिससे उनका दिमाग उन जगहों से जुड़ी घटनाएं याद कर सके. साथ ही उनसे साइकिल पर पैडल मारने और हैंडल संभालने के लिए कहा जाता है, ताकि उन्हें वहां होने का एहसास हो सके. वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा करने से दिमाग में डोपामीन बनता है और यह तरीका यादों के रखरखाव को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.
मंज़िल अभी बाकी है
तकनीक को सभी के लिए मुहैया कराने पर क्या होता है, ऐन-क्रिस्टीन की खोज BikeAround इसकी बेहतरीन मिसाल है. फ़िलहाल, वैज्ञानिक इस डिवाइस पर और ज़्यादा अध्ययन कर रहे हैं. उनका मकसद इसे दुनिया भर में उपलब्ध कराना है, ताकि डिमेंशिया से पीड़ित मरीज़ों की ज़िंदगी को साइकिल की सवारी जैसे आसान तरीकों से बेहतर बनाया जा सके.