एगोराफ़ोबिया से पीड़ित एक मुसाफ़िर
Google स्ट्रीट व्यू पर मौजूद सड़कों के सहारे जैकी केनी उन जगहों तक जाने में कामयाब हो पाईं, जहां जाने के बारे में वो कभी सोच भी नहीं पाती थीं. वह दुनिया के उन हज़ारों लोगों में से एक हैं, जो एगोराफ़ोबिया (खुली और सार्वजनिक जगहों से डर लगना) से पीड़ित हैं. घर से बाहर निकलने के बारे में सोचने भर से उन्हें तनाव और घबराहट के दौरे पड़ने लगते हैं. उनकी हालत ऐसी है कि बाज़ार या ऑफ़िस जाने जैसे रोज़मर्रा के काम भी, उन्हें बेहद मुश्किल या नामुमकिन से लगते हैं. वो अपने ही घर में एक ऐसे शरणार्थी की तरह रहती थीं, जिसकी दुनिया चारदीवारी में सिमट कर रह गई थी.
ऐसे में ही एक दिन उनके दिमाग में एक ख़्याल आया और उन्होंने Google स्ट्रीट व्यू पर क्लिक करके देखा. उनकी निगाह एक ख़ास नज़ारे पर जाकर टिक गई. स्ट्रीट व्यू कैमरे की मदद से उन्होंने देखा कि एक प्यारा सा कुत्ता एक कार के पीछे-पीछे दौड़ लगा रहा था. जैकी ने एक अच्छा सा फ़्रेम बनाया, उसका स्क्रीनशॉट लिया और मन ही मन सोचा :
“वाह! कितनी खूबसूरत तस्वीर है.”
वह पेरू और मंगोलिया जैसे दुनिया के उन दूर-दराज़ के इलाकों में भी घूम आईं, जहां जाने का उनका हमेशा से मन था. उन्होंने जानबूझ कर छोटे रास्तों और अनजान जगहों पर जाकर उन सारे लम्हों को फ़्रेम में कैद किया, जो उन्हें बहुत पसंद आये. उन्होंने स्ट्रीट व्यू का जितना ज़्यादा इस्तेमाल किया, उन्हें उतनी ज़्यादा मनपसंद तस्वीरें मिलती रही.
दूर-दराज़ की इन जगहों से जो तस्वीरें उन्होंने खींची, लोगों ने उन्हें बहुत पसंद किया. उनके परिवार ने उन्हें ये तस्वीरें दुनिया के साथ शेयर करने के लिए बढ़ावा दिया. इसके बाद, चंद महीनों में ही 50 हज़ार से भी ज़्यादा लोग उनके Instagram खाते को फ़ॉलो करने लगे. उनकी तस्वीरों को देखने पर दुनिया के शोर-शराबे से दूर हो जाने का एक ख़ास एहसास होता है, शायद यही वो एहसास है जिसे वो हमेशा से जीना चाहती थीं. इसलिए उनकी तस्वीरें महज कुछ अच्छे फ़्रेम भर नहीं हैं, बल्कि उनके मायने इससे कहीं ज़्यादा गहरे हैं. जैकी अब ऐसी जगहों पर घूम-फ़िर रही थीं, जहां वो हमेशा से जाना चाहती थीं और इस तरह से सफर करके उन्हें अपनी मन की बात और भावनाएं ज़ाहिर करने का भरपूर मौका मिल रहा था. अब वह अपने मन की बात दुनिया के सामने रख पा रही हैं और यह एक ऐसे इंसान के लिए बहुत बड़ी बात है जिसे अपनी जानी-पहचानी चीज़ों से हटकर कुछ अलग करने में मुश्किल पेश आती है. वह ख़ुद कहती हैं :
“एगोराफ़ोबिया और घबराहट की वजह से मैं बहुत कम जगहों पर जा पाती हूं, इसलिए मैंने दुनिया को देखने का एक अलग ज़रिया चुना है.”
जब वह गुमराह महसूस कर रही थीं, उसी दौरान उन्हें इस नई दुनिया का पता चला. इसने उन्हें खुलकर जीने की नई राह दिखाई. जैकी की खींची गई फ़ोटो, 2017 के पतझड़ के महीने में मैनहैटन की गैलरी में दिखाई गईं. यह पहला मौका था जब किसी प्रदर्शनी में सिर्फ़ जैकी की फ़ोटो लगी थीं. वह Stories For Good के साथ मिलकर अपनी फ़ोटो बेच रही हैं जो लिमिटेड एडिशन हैं यानी इनकी कुछ ही कॉपी बेची जाएंगी. इनसे इकट्ठा हुई रकम मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी संस्थाओं को दान की जाएगी.
जैकी को पता है कि अभी उन्हें काफ़ी लंबा सफ़र तय करना है. हालांकि, फ़ोटोग्राफ़ी के कौशल को बेहतर करने के लिए उनके इरादे बहुत मज़बूत हैं. उन्हें नहीं पता कि जिस रास्ते पर उन्होंने कदम बढ़ाए हैं उसकी मंज़िल क्या है. उन्हें सिर्फ़ इतना पता है कि यह रास्ता बिल्कुल सही है.