अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021
किसी एक महिला के आगे बढ़ने से, दूसरी महिलाओं के लिए राह आसान हो जाती है
पिछले साल, दुनिया भर में the first woman (पहली महिला) के बारे में पहले से कहीं ज़्यादा बार खोजा गया.1
इतिहास गवाह है कि समाज को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका हमेशा अहम रही है. भले ही, राजनीति हो या विज्ञान, खेल-कूद या फिर कला. पिछले एक साल के दौरान ऐसी महिलाओं को आदर्श महिला के तौर पर देखा गया जिन्होंने किसी खास क्षेत्र में पहल करके, ऐसे काम किए जो पहले कभी नहीं किए गए. इस दौरान आई चुनौतियों का भी इन महिलाओं ने बखूबी सामना किया.
पहली महिला के तौर पर उपलब्धि हासिल करने के लिए, इन महिलाओं को कई दूसरे लोगों का सहारा लेना पड़ा – ऐसी महिलाएं जिन्होंने कई क्षेत्रों में पहल की, लेकिन उनके पास उस क्षेत्र में आगे बढ़ने और सफल होने के समान अवसर मौजूद नहीं थे. पहली महिला के तौर पर काम करते हुए कुछ महिलाओं ने बहुत शानदार तरीके से नई उपलब्धि हासिल की; कुछ को अपनी पहचान बनाने के लिए लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ा. दुनिया भर में, अलग-अलग क्षेत्रों में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने वाली इन सभी महिलाओं ने, आने वाली पीढ़ियों के लिए शानदार विरासत बनाई है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस मौके पर, हम ऐसी महिलाओं की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने पहली महिला के तौर पर अलग-अलग क्षेत्रों में नाम कमाया और दूसरी महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.
“इस बात से हम सभी को प्रेरणा मिलती है कि महिलाओं ने अलग-अलग क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करने के लिए लंबा सफ़र तय किया है. हालांकि, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है. हम उन महिलाओं के लिए जश्न मना रहे हैं जिन्होंने किसी क्षेत्र में ‘पहली महिला’ के तौर पर उपलब्धि हासिल की. साथ ही, हमारी यह भी कोशिश है कि दूसरी महिलाएं भी आगे चलकर ऐसी उपलब्धियां हासिल करें.”
लरेन टूहिल, Google की सीएमओ और Google.org Impact Challenge पैनल की विशेषज्ञ सदस्य
मेरी क्यूरी ने 1903 में भौतिक विज्ञान और 1911 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता. वे इस पुरस्कार को जीतने वाली दुनिया की पहली महिला थीं. साथ ही, वे इस पुरस्कार को दो बार जीतने वाली पहली वैज्ञानिक भी थीं.
आज के दौर में महिलाओं के पास एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, और मैथ्स) के क्षेत्र में जो अवसर मौजूद हैं उसका बहुत बड़ा श्रेय मेरी क्यूरी को जाता है. रेडियो-ऐक्टिविटी रिसर्च में मेरी क्यूरी के अहम योगदान के बावजूद, साल 1903 में नोबेल पुरस्कार के लिए उनके नाम पर शुरुआत में विचार नहीं किया गया, क्योंकि वह एक महिला थीं. उनके जैसी ही मेहनत और लगन का उदाहरण अन्य क्षेत्रों की पहली महिलाओं में भी देखने को मिलता है. जैसे- दुनिया की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री, जिन्हें वह सम्मान पाने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा जो उनके पुरुष साथियों को मिला. साथ ही, ऐसी अनगिनत महिलाओं की कहानी भी क्यूरी जैसी रही जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपना जीवन लगा दिया, लेकिन हो सकता है कि उनके काम को कभी वह पहचान न मिले जिसकी वे हकदार हैं
“महिलाओं और लड़कियों के बीच कभी-कभी यह भावना आ जाती है कि चाहे वे जो भी करें उनके काम को उस तरह से नहीं सराहा जाएगा जिस तरह किसी पुरुष के काम को सराहना मिलती है. मुझे उम्मीद है कि यह सम्मान महिलाओं की इस भावना को कुछ हद तक बदलेगा. साथ ही, इससे दूसरी महिलाओं को इस बात की प्रेरणा भी मिलेगी ... कि उनके काम को भी सराहा जा सकता है और वे अपने काम से सही मायनों में कुछ बदलाव ला सकती हैं.”
जेनिफ़र ए. डाओना, नोबेल लॉरिएट
जान बचाने वाले टीके से लेकर टेक्नोलॉजी से जुड़ी नई खोज तक, साल 2020 में हासिल की गई जिन उपलब्धियों को सबसे असरदार माना गया उनमें महिलाओं की भूमिका अहम रही. ओज़लेम ट्यूरेसी, BioNTech की को-फ़ाउंडर के तौर पर, दुनिया भर में सुर्खियों में रहीं. BioNTech वह जर्मन कंपनी है जिसने अमेरिका का पहला आधिकारिक COVID-19 टीका बनाने के लिए, Pfizer के साथ मिलकर काम किया.
इसके अलावा, 2020 में गीतांजलि राव को उनके काम के लिए टाइम पत्रिका ने पहली बार 'किड ऑफ़ द ईयर' का खिताब दिया. उन्होंने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कई तरह की समस्याओं से निपटने के तरीके निकाले. जैसे- पानी में लेड (सीसा) होने का पता लगाना, ओपिऑइड की लत से छुटकारा, और इंटरनेट पर धमकी से बचाव. साथ ही, लूसी वासरमेन के नेतृत्व में Google Jigsaw के इंजीनियरों ने Perspective के लिए अंतरराष्ट्रीय भाषाएं तैयार कीं. यह ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसका इस्तेमाल कई प्लैटफ़ॉर्म और प्रकाशक करते हैं, ताकि गलत तरह की टिप्पणियों को पहचानकर उन्हें कंट्रोल कर सकें.
यह दुनिया की उन हज़ारों महिलाओं में से कुछ महिलाएं हैं जिनके काम से विज्ञान के क्षेत्र में न सिर्फ़ लड़कियों की एक पीढ़ी को प्रेरणा मिल रही है, बल्कि हम सभी के लिए ज़्यादा स्वस्थ, सुरक्षित, और एक ऐसी नई दुनिया का विस्तार हो रहा है जिसमें महिलाओं को काम करने की पूरी आज़ादी है. अगर आप विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में, महिलाओं की भूमिका वाली ऐसी और भी प्रेरणादायक कहानियां पढ़ना चाहते हैं, तो Google Arts & Culture पर जाएं.
कारोबार से जुड़ी महिलाएं
अपने दम पर करोड़पति बनने वाली पहली महिला
मैडम सी.जे. वॉकर (सेरा ब्रीडलव)
मैडम सी. जे. वॉकर का नाम पहले सेरा ब्रीडलव था. वह दुनिया की पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने 1910 में अपने कारोबार की शुरुआत करके, 1 लाख डॉलर से ज़्यादा की कमाई की. उनकी कंपनी का नाम Madam C. J. Walker Manufacturing Company है. वॉकर ने अपना कारोबार खड़ा करते समय न सिर्फ़ लैंगिक भेदभाव की चुनौती का सामना किया, बल्कि उन्होंने नस्लीय भेदभाव के ख़िलाफ़ भी लड़ाई लड़ी. साथ ही, नस्लभेद, उपनिवेशवाद, और साम्राज्यवाद को खत्म करने में भी एक अहम भूमिका निभाई. ऐसा करके उन्होंने आज के दौर में इस तरह की परेशानियों का सामना कर रही कई महिलाओं को यह सीख दी कि उन्हें चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए.
वॉकर ऐसी बहुत सी महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने कारोबार में कामयाबी हासिल की: औपनिवेशिक शासन की शुरुआत से पहले के दक्षिण पूर्व एशिया और अफ़्रीका की महत्वकांक्षी महिला व्यापारियों और 18वीं सदी में लंदन में कारोबार की शुरुआत करने वाली सबसे पहली महिला कारोबारियों से लेकर मशहूर कारोबारी हैलिना रुबिनस्टाइन और मार्ग्रेट रडकिन तक (Pepperidge Farm की संस्थापक), जिनके स्टार्टअप आज ऐसी कंपनियों में बदल चुके हैं जो दुनिया भर में काम कर रही हैं.
इन महिलाओं ने उन सभी महिला कारोबारियों के लिए, काफ़ी आसान राह बनाई है जिनकी संख्या दुनिया भर में लगातार बढ़ रही है.
हाल ही में जारी किए गए डेटा के मुताबिक, दुनिया भर में हर तीन में से एक कारोबार की मालिक, एक महिला है,3. साथ ही, अमेरिका में कुल महिला कारोबारियों में से 21 प्रतिशत महिलाएं, अफ़्रीकी-अमेरिकी मूल की हैं.4
अपना कारोबार खड़ा करने वाली हर महिला इससे जुड़ी मुश्किलों के बारे में जानती है, लेकिन वैश्विक महामारी की वजह से कारोबार पर पड़ने वाला असर, पिछली सदी की सबसे खराब स्थितियों में से एक है. इसका सबसे ज़्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है, खास तौर पर 'विमिन ऑफ़ कलर' ग्रुप की महिलाओं पर. इनकी सबसे ज़्यादा संख्या में नौकरियां गईं और घरेलू ज़िम्मेदारियां बढ़ने की वजह से आर्थिक तनाव का माहौल बना. 'विमिन ऑफ़ कलर' ग्रुप में अफ़्रीकी-अमेरिकी, लैटिन, एशियाई, अमेरिकी-भारतीय, अलास्का, हुवाई, और प्रशांत महाद्वीप के देशों की मूल निवासी महिलाएं शामिल हैं.5
यूटा के वेस्ट जॉर्डन में बेड सेट और मैट्रेस बेचने वाली एक कंपनी, Beddy’s की को-फ़ाउंडर बेटसी माइकसेल कहती हैं, “साल 2020 एक अच्छा साल था. हालांकि, इस दौरान हमें ढेर सारी नई चीजें सीखने को मिलीं.” Someone Somewhere, मेक्सिको में कपड़े बनाने वाली एक कंपनी है. इसमें 180 से ज़्यादा कारीगर काम करते हैं. इसकी को-फ़ाउंडर फ़ातिमा अलवरेज़ कहती हैं, “पिछले एक साल में हमने यह जाना है कि इंटरनेट पर वेबसाइट या स्टोरफ़्रंट के ज़रिए अपना सामान बेचना कितना ज़रूरी है.” वे कहती हैं, “जब मैं सोचती हूं कि मैं यह काम क्यों कर रही हूं, तब मुझे एहसास होता है कि मेरा काम दिलचस्प और दूसरों के लिए मददगार है और इस वजह से मुझे यह काम करने की प्रेरणा मिलती है. मैं जानती हूं कि हम लोगों की मदद कर रहे हैं और हम लगातार उनकी मदद करते रहेंगे.”
पिछले एक साल के आर्थिक तनाव के बाद भी, कारोबार के क्षेत्र में महिलाओं की तरक्की हमें उम्मीदों भरा कल दिखाती है. जनवरी 2021 में, जर्मनी की कैबिनेट ने एक कानून पास किया है. इसके तहत, स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों के तीन से ज़्यादा सदस्य वाले एक्ज़ीक्यूटिव बोर्ड में, कम से कम एक महिला का होना ज़रूरी है. जेनेट येलेन, अमेरिका की पहली महिला ट्रेज़री सेक्रेटरी बनीं.
“जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तब हम सब भी आगे बढ़ते हैं. हमें उनका साथ देना होगा, ताकि पक्का किया जा सके कि जो कामयाबी पाने के लिए वे आगे बढ़ रही हैं उसे हासिल करने और दूसरों को राह दिखाने के लिए, उनके पास ज़रूरी टूल और संसाधन हैं या नहीं.”
बोनीता स्टुअर्ट, Google में Global Partnerships की वाइस प्रेसिडेंट हैं
खेल-कूद से जुड़ी महिलाएं
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली पहली महिला
जुंको ताबै
जापान की जुंको ताबै, जैपनीज़ पर्वतारोही, लेखिका, और शिक्षिका थीं. साल 1975 में, वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली पहली महिला थीं. इसके अलावा, 2016 में अपनी मृत्यु से पहले, उन्होंने हर महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों पर भी चढ़ाई कर ली थी. ये कारनामा करने वाली भी वे पहली महिला थीं. आज के दौर की एथलीट महिलाएं भी नए कीर्तिमान स्थापित करने के साथ-साथ, महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए चुनौतियां बढ़ा रही हैं.
महिला एथलीट की क्षमताओं को हमेशा से, पुरुषों के मुकाबले कम ही माना जाता रहा है, लेकिन इतिहास के पन्ने ऐसी महिलाओं के नाम से भरे पड़े हैं जिन्होंने न सिर्फ़ अपनी शारीरिक क्षमताओं की सीमाओं को तोड़ा है, बल्कि समाज को आगे बढ़ाया है. साल 1926 में, इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करने वाली पहली महिला, गर्टरूड एडर्ली थीं. इतना ही नहीं, उन्होंने पुरुष वर्ग का रिकॉर्ड तोड़ा और इंग्लिश चैनल को पार करने के लिए पुरुष एथलीट से करीब दो घंटे कम लिए. साल 1967 में, 20 साल की कैथरीन स्विट्ज़र, बोस्टन मैराथन में आधिकारिक तौर पर दौड़ने वाली पहली महिला बनीं – यहां तक कि उन्होंने उस मैराथन के एक अधिकारी से भी लड़ाई लड़ी, जिसने उन्हें पीछे से पकड़कर रेस से बाहर करने की कोशिश की.
पिछले 50 सालों में, 700 से ज़्यादा महिलाओं ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की, कुल 629 महिलाओं ने इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया, और सात महिलाओं ने डबल्यूएनबीए खेलों के दौरान डंक (रिम पर हाथ रखकर बास्केट में बॉल को डालकर किया गया स्कोर) किया.
आज महिला एथलीट खेल-कूद से जुड़ी दकियानूसी बातों और पुरुषवादी मानसिकता को चुनौती दे रही हैं. हालांकि, महिला होने की वजह से अक्सर उन्हें पक्षपात भी झेलना पड़ता है. शायद इसलिए, साल 2020 में दुनिया भर में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले एथलीट की सूची में सिर्फ़ दो महिलाएं शामिल थीं.7
अब भी कुछ ऐसी कहानियां हैं जिन्हें बयां करना बाकी है. नवंबर 2020 में, किम ऐंग को मियामी मर्लिंस का जनरल मैनेजर बनाया गया. इस तरह, किम ऐंग मेजर लीग बेसबॉल के इतिहास की पहली महिला जनरल बनीं.
“जब मैंने पहली बार एल कैपिटान पर फ़्री क्लाइंब का फ़ैसला किया था, तब मुझे यकीन नहीं था कि मैं एक दिन में यह कर सकती हूं ... यही वजह थी कि मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया. जिन कामों को पूरा करना असंभव लगे वे हमे अपनी क्षमताओं से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि हमें पता चल सके कि हम यह कर सकते हैं या नहीं.”
एमली हैरिंगटन
Google क्या कर रहा है
हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि आने वाला समय ऐसा हो जहां दुनिया के हर कोने में महिलाओं को बराबरी की नज़र से देखा जाए, उनके लिए हर क्षेत्र में सफलता के समान अवसर हों, और जहां वे अपने आस-पास और इंटरनेट पर भी सुरक्षित महसूस करें. साथ ही, हम अपने सभी कर्मचारियों को समान अवसर देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, Google ने लक्ष्य तय किया है कि साल 2025 तक, Google में काम करने वाले कर्मचारियों में से, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में 30% महिलाएं लीडर के तौर पर उभरें.