जानें कि कैसे जेसन बार्न्स और दूसरे लोग, एक ऐसी दुनिया बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो दिव्यांग समुदाय के लोगों के साथ-साथ बाकी लोगों के लिए भी सुलभ हो.
जेसन बार्न्स को बचपन से ही ड्रम बजाना बहुत पसंद था. जब 22 साल की उम्र में, एक इलेक्ट्रिकल दुर्घटना की वजह से उनका दायां हाथ कट गया, तब भी उन्होंने ड्रमर बनने का सपना नहीं छोड़ा. दुर्घटना के करीब 10 साल बाद, संगीत को लेकर जेसन का जुनून उन्हें एक नए रास्ते पर ले गया. इस राह पर चलकर ही उन्होंने एक कृत्रिम हाथ बनाने में मदद की, जो दुनिया के सबसे बेहतरीन कृत्रिम अंगों में से एक साबित हुआ. आज वे उन लाखों दिव्यांगों में से एक हैं जो अपना मनचाहा काम कर पा रहे हैं.
दिव्यांग समुदाय के साथ मिलकर डिज़ाइन की गई टेक्नोलॉजी, एक वक्त के बाद सभी लोगों के काम आती है. दिव्यांग समुदाय के कई लोग उन टूल के को-क्रिएटर्स हैं जिनकी मदद से, उनके साथ-साथ दूसरे लोग भी अपने लक्ष्य हासिल कर पा रहे हैं. साथ ही, अपनी ज़िंदगी को उसी तरह से जी रहे हैं जिस तरह से वे जीना चाहते हैं.
आविष्कार के लिए नए रास्ते खोलना
जेसन बार्न्स ने बचपन से ही ड्रम बजाना शुरू कर दिया था. उन्हें तब बोलना भी नहीं आता था. मैगी उनकी मां हैं. वह बताती हैं, “मुझे याद है कि उसने दो साल की उम्र से ही ड्रम बजाना शुरू कर दिया था. हम जब भी संगीत चलाते थे, वह अपनी कुर्सी, डिनर टेबल या किसी भी सरफ़ेस को बजाना शुरू कर देता था.” साल 2012 में जब वह 22 साल का था, तब उसका दायां हाथ एक इलेक्ट्रिकल दुर्घटना में कट गया था. इस घटना से उसकी ज़िंदगी की एक नई शुरुआत हुई.
साल 2013 से, जेसन ने सबसे बेहतर रोबोटिक ड्रमिंग आर्म (ड्रम बजाने के लिए कृत्रिम रोबोटिक हाथ) बनाने के लिए, गिल वाइनबर्ग के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. गिल, जॉर्जिया टेक सेंटर फ़ॉर म्यूज़िक टेक्नोलॉजी के मशहूर रोबोटिसिस्ट और फ़ॉउंडिंग डायरेक्टर हैं. उनका सबसे नया डिज़ाइन, Google के ओपन सोर्स मशीन लर्निंग प्लैटफ़ॉर्म, TensorFlow का इस्तेमाल करता है.
“सभी को सुलभता के साथ टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराकर, हम नई सोच को बेहतर तरीके और तेज़ी से बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.”
सारा सिराजुद्दीन, Google की TensorFlow टीम की इंजीनियरिंग लीड
अब मशीन लर्निंग की मदद से, वे काम किए जा सकते हैं जिन कामों के लिए पहले किसी व्यक्ति की ज़रूरत पड़ती थी. जैसे, देखकर चीज़ों को समझना, बोली की पहचान करना, फ़ैसला लेना, और अनुवाद करना. Google की TensorFlow टीम की इंजीनियरिंग लीड, सारा सिराजुद्दीन कहती हैं, “हमारा लक्ष्य ऐसी टेक्नोलॉजी डिज़ाइन करना है जिसे कोई भी उतनी आसानी से इस्तेमाल कर सके जितनी आसानी से वे Gmail इस्तेमाल करते हैं. टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने में जितनी ज़्यादा आसान होगी उतने ही ज़्यादा लोग, अपनी परेशानियों का हल खुद ढूंढ पाएंगे.”
गिल ने सोचा कि वह डिज़ाइन को पूरा करने के बाद, इसे टेस्ट के लिए जेसन के पास नहीं भेजेंगे. इसके बजाय, वह लैब में जेसन के साथ मिलकर इस डिज़ाइन पर काम करेंगे, ताकि वे हाथ के जो भी मॉडल बनाएं उनमें बार-बार जेसन के हिसाब से सुधार किए जा सकें. जेसन के लिए, यह बिल्कुल नया एहसास था.
“मुझे इस प्रोसेस का हिस्सा बनकर, बहुत खुशी हो रही है. पहले मुझे नए डिवाइस से सीखने और उसके साथ अडजस्ट करने में परेशानी होती थी. हालांकि, इस नई प्रोसेस से मुझे ऐसा डिवाइस मिला है जो मेरे हिसाब से ही बना है.”
जेसन बार्न्स
बेहतर कल के लिए एक साथ मिलकर काम करना
“अगर आपने कभी किसी की मदद के लिए, सहायक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं किया है, तो आप कोई ऐसा प्रॉडक्ट कैसे डिज़ाइन कर पाएंगे जो इन सहायक टेक्नोलॉजी का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करे? आप ऐसा प्रॉडक्ट, डिज़ाइन नहीं कर पाएंगे.”
विंट सर्फ़, Google में वीपी और चीफ़ इंटरनेट इवेंजेलिस्ट हैं
दिव्यांग समुदाय के साथ मिलकर काम करना, Google के डिज़ाइन की प्रोसेस का एक बुनियादी हिस्सा है. चाहे किसी खास ज़रूरत को पूरा करने के लिए, नई टेक्नोलॉजी बनाना हो या फिर किसी मुख्य टूल में बदलाव करके, उसे बेहतर बनाना हो.
साल 2018 से अब तक, करीब 1,000 लोगों ने Project Euphonia के तहत, 1,000 घंटों से ज़्यादा अवधि के वाक्यांश रिकॉर्ड किए हैं. इस प्रोजेक्ट को उन लोगों की मदद के लिए बनाया गया है जो ठीक से बोल नहीं सकते. इसकी मदद से, Google Assistant जैसे आवाज़ से चालू होने वाले टूल, उन लोगों की आवाज़ को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे. फ़िलहाल, बोली की पहचान करने वाले कई मॉडल, उन लोगों की आवाज़ को पूरी तरह से नहीं पहचान पाते हैं जो ठीक से बोल नहीं सकते. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन मॉडल को ट्रेन करने के लिए भरपूर डेटा मौजूद नहीं है. इसका हल निकालने के लिए, टीम ने एएलएस टीडीआई (एएलएस थेरेपी डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट) जैसे पार्टनरों के साथ मिलकर काम किया. ऐसा करके, टीम ने बोली की पहचान करने वाले मॉडल को ट्रेन करने के लिए, डेटा इकट्ठा किया. हिस्सा लेने वालों के लिए यह प्रोजेक्ट, आने वाले समय में बोली की पहचान करने की प्रक्रिया को आसान बनाने का मौका देता है. इससे, सिर्फ़ हिस्सा लेने वालों की मदद नहीं होती, बल्कि दुनिया भर के उन लाखों लोगों को मदद मिलती है जो ठीक से बोल नहीं पाते.
साल 2017 में, Google ने दुनिया भर के लाखों स्थानीय गाइड से मदद मांगी और उन्हें Google Maps पर सुलभता से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए कहा. आज के समय में, Maps पर करीब डेढ़ करोड़ ऐसी जगहें हैं जहां व्हीलचेयर लाने और ले जाने से जुड़ी जानकारी मौजूद है. आप Maps पर, किसी जगह के दो लाइन में दिए गए ब्यौरे पर क्लिक करके और फिर "सुलभता की जानकारी" तक स्क्रोल करके, व्हीलचेयर की सुविधा के बारे में पता कर सकते हैं. हम स्थानीय गाइड, कारोबारों के मालिकों, और दुनिया भर में मौजूद योगदान देने वाले दूसरे लोगों के बढ़ते हुए नेटवर्क को धन्यवाद देते हैं. आपकी मदद से ही हर रोज़ सुलभता से जुड़ी नई जानकारी जोड़ी जा रही है, ताकि दिव्यांग हर जगह पूरे आत्मविश्वास के साथ जा सकें.
साल 2017 में, Google ने दुनिया भर के लाखों स्थानीय गाइड से मदद मांगी और उन्हें Google Maps पर सुलभता से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए कहा. आज के समय में, Maps पर करीब डेढ़ करोड़ ऐसी जगहें हैं जहां व्हीलचेयर लाने और ले जाने से जुड़ी जानकारी मौजूद है. आप Maps पर, किसी जगह के दो लाइन में दिए गए ब्यौरे पर क्लिक करके और फिर "सुलभता की जानकारी" तक स्क्रोल करके, व्हीलचेयर की सुविधा के बारे में पता कर सकते हैं. हम स्थानीय गाइड, कारोबारों के मालिकों, और दुनिया भर में मौजूद योगदान देने वाले दूसरे लोगों के बढ़ते हुए नेटवर्क को धन्यवाद देते हैं. आपकी मदद से ही हर रोज़ सुलभता से जुड़ी नई जानकारी जोड़ी जा रही है, ताकि दिव्यांग हर जगह पूरे आत्मविश्वास के साथ जा सकें.
“सभी तरह की जानकारी का ऐक्सेस मिलने पर, लोगों के आत्मनिर्भर और आज़ाद बनने की संभावना बढ़ जाती है. क्यों न यही मौका हम दिव्यांगों को भी दें?”
लुइस डुरेन, लोकल गाइड, सेंटो डॉमिंगो, डीओ
“सभी तरह की जानकारी का ऐक्सेस मिलने पर, लोगों के आत्मनिर्भर और आज़ाद बनने की संभावना बढ़ जाती है. क्यों न यही मौका हम दिव्यांगों को भी दें?”
लुइस डुरेन, लोकल गाइड, सेंटो डॉमिंगो, डीओ
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